नई दिल्ली, 21 अक्टूबर (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने फिर कहा है कि जब तक सार्वजनिक संपत्ति से चुनाव प्रचार वाले पम्पलेट और नारे आदि साफ नहीं किए जाते, तब तक दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के लिए हुए चुनाव की मतगणना की इजाजत नहीं दी जा सकती है। चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली मेट्रो और दिल्ली पुलिस से सफाई के संबंध में ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को होगी।
सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत मनचंदा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के उस दावे को चुनौती दी, जिसमें कहा गया था कि 90 फीसदी सार्वजनिक संपत्तियों को साफ कर दिया गया है। तब कोर्ट ने कहा कि हम उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर सकते हैं, जिन्होंने सार्वजनिक संपत्तियों को गंदा किया है। इससे पहले 9 अक्टूबर को हाई कोर्ट ने कहा था कि जब तक सार्वजनिक संपत्ति साफ नहीं हो जाती, तब तक दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के लिए हुए चुनाव की मतगणना की इजाजत नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने छात्र नेताओं से कहा था कि हम नतीजे रोक कर रखना नहीं चाहते हैं। आप सार्वजनिक संपत्ति को साफ कर दें, फिर से पेंट करा दें, हम अगले दिन काउंटिंग करा देंगे।
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव में मुफ्त खाना बांटा जा रहा था, ऐसा हमने आम चुनाव में भी नहीं देखा। छात्र संघ चुनाव में आम चुनाव से भी ज़्यादा पैसा खर्च हुआ है। यह लोकतंत्र का उत्सव है, यह मनी लांड्रिंग का उत्सव नहीं है। 26 सितंबर को हाई कोर्ट ने मतगणना पर रोक लगा दिया था। हालांकि, हाई कोर्ट ने 27 सितंबर को छात्र संघ चुनाव कराने की इजाजत दे दी थी। हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव प्रचार के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को गंदा किए जाने पर दिल्ली यूनिवर्सिटी को फटकार लगाई थी।
हाई कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी और सभी कॉलेज प्रशासन को निर्देश दिया था कि वे मतदान के बाद ईवीएम और बैलेट बॉक्स को अगले आदेश तक सुरक्षित और संरक्षित रखें। हाई कोर्ट ने कहा था कि जितनी भी सार्वजनिक संपत्ति को गंदा किया गया है, उसकी सफाई में आने वाली लागत की भरपाई दिल्ली यूनिवर्सिटी को करनी होगी। हाई कोर्ट ने कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी बाद में इस पैसे की भरपाई चुनाव लड़ने वाले उन उम्मीदवारों से कर सकती है, जिन्होंने उक्त अपराध किया है।
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पूछा था कि क्या कोई रिकॉर्ड है कि चुनाव में कितना पैसा इस्तेमाल किया जा रहा है। हाई कोर्ट ने कहा था कि पोस्टर दीवारों और सड़कों पर लगाए जा रहे हैं। इस तरह से पैसा बर्बाद नहीं होने देना चाहिए। आपको इसके लिए सख्त एक्शन लेना चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा था कि जिन उम्मीदवारों के नाम के पोस्टर लगे हुए हैं, उन पोस्टरों को हटाने के पैसे उनसे ही वसूला जाए। यह चुनाव कोई अकेले नहीं लड़ रहा है बल्कि चुनाव में संगठन शामिल हैं। आप अपने आप इतना असहाय महसूस मत करिए।
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