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-22 दिन में लगभग 2 लाख किलो चावल, 1 लाख किलो आटा, 1 लाख 35 हजार किलो से ज्यादा दाल और 19000 किलो से ज्यादा देसी घी का इस्तेमाल-अदाणी व इस्कॉन चला रहा दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक क्लाउड किचन
महाकुम्भ नगर, 04 फरवरी (हि.स.)। महाकुम्भ क्षेत्र में सोमवार यानी 3 फरवरी सबसे पवित्र स्नान का दिन रहा। देश-दुनिया से लोग प्रयागराज पहुंचे और उन्होंने त्रिवेणी में डुबकी लगाई। प्रयागराज में आध्यात्म का महाकुम्भ तो चल ही रहा है साथ ही सेवा और सत्कार का महाकुम्भ जारी है। ऐसे ही एक महाकुम्भ का भागी बन रहा है अदाणी और इस्कॉन का साथ। अदाणी समूह इस्कॉन के साथ मिलकर देश दुनिया से आए लोगों के लिए महाप्रसाद की व्यवस्था कर रहा है।
इस परमार्थ के लिए दुनिया की सबसे बड़ी रसोई दिन रात काम पर लगी रहती है। मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी स्नान के दिनों को मिलाकर देखा जाए तो तकरीबन 5.5 लाख लोगों ने अदाणी-इस्कॉन का महाप्रसाद ग्रहण किया। इन 22 दिनों में तकरीबन 28 लाख लोगों ने महाप्रसाद ग्रहण किया और इसका वितरण लगातार जारी है।
एक लाख किलो आटा, दो लाख किलो चावल की खपत
अदाणी और इस्कॉन की तरफ से महाप्रसाद का वितरण 13 जनवरी को आरम्भ हुआ और लगातार जारी है। महाकुम्भ क्षेत्र में मौजूद 40 से ज्यादा सेंटर्स पर महाप्रसाद का वितरण किया जा रहा है। इसके लिए क्षेत्र में ही तीन रसोईघर लगातार भोजन प्रसाद का निर्माण करते रहते हैं। 13 जनवरी से लेकर 3 फरवरी तक 2 लाख किलो से ज्यादा चावल, 1 लाख किलो से ज्यादा आटा, 1 लाख 50 हजार किलो से ज्यादा सब्जियां, 1 लाख 35 हजार किलो से ज्यादा दालें और 19000 किलो से ज्यादा देसी घी का इस्तेमाल हो चुका है।
लाखों ने पाया महाप्रसाद, लाखों को मिलेगा महाप्रसाद
पवित्र स्नान के दो दिनों यानी मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी को ही लगभग 5.5 लाख लोगों ने महाप्रसाद ग्रहण किया। अगर महाप्रसाद ग्रहण करने वाले कुल श्रद्धालुओं की बात की जाए तो 13 जनवरी से 3 फरवरी तक यह संख्या 28 लाख से ज्यादा रही। उम्मीद की जा रही है कि महाकुम्भ मेले के आखिरी दिन तक अदाणी-इस्कॉन की तरफ से तकरीबन 50 लाख श्रद्धालुओं को महाप्रसाद प्रदान किया जाएगा।
स्वादिष्ट भी, सेहतमंद भी
इस्कॉन प्रवक्ता का कहना है कि हम कहीं भी 2 दिन के नोटिस पर 50 हजार लोगों के लिए खाना बनाने लायक किचन बना सकते हैं। अदाणी-इस्कॉन रसोई का निर्माण भी इस तरह से किया गया है कि खाने की गुणवत्ता बनी रहे। एक तरफ जहां एलपीजी सिलेंडरों का इस्तेमाल होता है तो दूसरी तरफ ईंट और मिट्टी के इस्तेमाल से चूल्हे भी बने हुए हैं। इन चूल्हों में गाय के गोबर से बने उपलों का इस्तेमाल होता है। यहां सब्जियों को धीमी आंच पर पकाया जाता है। पूरे किचन को आईआईटी के 4 सिविल और मैकेनिकल इंजीनियरों ने तैयार किया है।
बता दें कि, अदाणी समूह इस्कॉन के साथ मिल कर प्रतिदिन 1 लाख से ज्यादा लोगों को महाप्रसाद उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है। अदाणी समूह गीता प्रेस के साथ मिलकर एक करोड़ मुफ्त आरती संग्रह के वितरण का काम भी कर रहा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र