खूंटी की महिलाओं का सवाल, 17 चुनाव में सिर्फ एक बार टिकट क्यों
-भाजपा या झारखंड पार्टी ने अब तक किसी महिला को नहीं दिया टिकट खूंटी, 16 अप्रैल (हि.स.)। स्वतंत्रता प
खूंटी संसदीय सीट लोगो


-भाजपा या झारखंड पार्टी ने अब तक किसी महिला को नहीं दिया टिकट

खूंटी, 16 अप्रैल (हि.स.)। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1952 से लेकर अब तक खूंटी संसदीय सीट पर हुए 17 लोकसभा चुनावों में मात्र एक महिला को अब तक संसद पहुंचने का का मौका मिला है और वे थीं बिहार की पूर्व मंत्री और बिरसा कॉलेज खूंटी की प्राचार्या सुशीला केरकेट्टा।

सुशीला केरकेट्टा ने 2004 कें लोकसभा चुनाव में छह बार के सांसद कड़िया मुंडा को मात दी थी। उसके पहले या बाद में किसी महिला को लोकसभा पहुंचने का मौका नहीं मिला। वैसे कांग्रेस ने सुशीला केरेट्टा के पहले या बाद में किसी भी पार्टी ने महिला उम्मीदवारों को टिकट नहीं दिया। भाजपा ने भी अब तक किसी महिला प्रत्याशी को मैदान में नहीं उतारा है। वैसे दयामनी बारला ने 2009 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के टिकट पर भाग्य आजमाया था, लेकिन वह अपनी जमानत तक बचा नहीं पाई थी। ऐसा नहीं है कि इस ससंदीय सीट से अन्य महिला प्रत्याशियों ने चुनाव नहीं लड़ा हो, पर किसी बड़े राजनीतिक दल के टिकट पर उन्हें किस्मत आजमाने का मौका नहीं मिला।

खूंटी संसदीय सीट से 1952, 1957, 1962 के लोकसभा चुनाव में झारखंड पार्टी के जयपाल सिंह मुंडा ने लगतार जीत दर्ज की थी। 1967 में उन्होंने प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के कहने पर झारखंड पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया और उस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में वे कांग्रेस के टिकट पर संसद पहुंचे, लेकिन झारखंड पार्टी के ही कद्दावर नेता एनई होरो सहित कई लोगों ने विलय का विरोध किया और 1971 में झारखंड पार्टी के संगठन को मजबूत कर चुनाव लड़ा और वे लोकसभा पहुंचे गये। आपातकाल के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में कड़िया मुंडा जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत गये, लेकिन 1980 के चुनाव में एनई होरो ने फिर उन्हें मात दे दी।

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति की लहर में कांग्रेस के प्रत्याशी साइमन तिग्गा खूंटी से सांसद बने। उसके बाद 1989, 1991 1998 और 1999 में भाजपा के कड़िया मुंडा ने लगातार जीत दर्ज की, लेकिन 2004 में कड़िया मुंडा कांग्रेस प्रत्याशी सुशीला केरेकेट्टा से मात खा गये। 2009 के चुनाव में कांग्रेस ने सुशीला केरेकेट्टा को टिकट नहीं देकर नियेल तिर्की को मैदान में उतारा, लेकिन वे भी कड़िया मुंडा से परास्त हो गये। 2014 में कड़िया मुंडा आठवीं बार जीत हासिल कर लोकसभा पहुंचे। पद्मभूषण अलंकरण मिलने के बाद उन्होंने चुनावी राजनीति से खुद को अलग कर लिया। 2019 में भाजपा ने अर्जुन मुंडा को मैदान में उतारा और उन्होंने कांग्रेस के कालीचरण मुंडा को महज 1445 वोट के अंतर से पराजित कर संसद पहुंचे थे। इस बार भी मुकाबला दोनों पुराने प्रतिद्वंद्वियों कांग्रेस के कालीचरण मुंडा और भाजपा के अर्जुन मुंडा के बीच ही है।

अर्जुन और कालीचरण मुंडा दोनों 23 अप्रैल को करेंगे नामांकन

खूंटी संसदीय सीट से कांग्रेस के कालीचरण मुंडा और भाजपा के अर्जुन मुंडा 23 अप्रैल को अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी दोनों मुंडाओं ने एक ही दिन 16 अप्रैल को नामांकन पत्र भरा था।

हिन्दुस्थान समाचार/ अनिल