आईआईटी कानपुर ने भारत की पहली हाइपरवेलोसिटी एक्सपेंशन टनल टेस्ट सुविधा किया विकसित
कानपुर, 05 फरवरी (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर ने एक बड़ी उपलब्धि के रूप में भारत की प
आईआईटी कानपुर ने भारत की पहली हाइपरवेलोसिटी एक्सपेंशन टनल टेस्ट सुविधा किया विकसित


कानपुर, 05 फरवरी (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर ने एक बड़ी उपलब्धि के रूप में भारत की पहली हाइपरवेलोसिटी एक्सपेंशन टनल टेस्ट सुविधा की सफलतापूर्वक स्थापना और परीक्षण किया है। भारत को इस उन्नत हाइपरसोनिक परीक्षण क्षमता वाले कुछ मुट्ठी भर देशों में सूची में शामिल करता है। यह जानकारी सोमवार को आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. एस. गणेश ने दी।

उन्होंने बताया कि S2 नामक सुविधा, वाहनों के वायुमंडलीय प्रवेश, क्षुद्रग्रह प्रवेश, स्क्रैमजेट उड़ानों और बैलिस्टिक मिसाइलों के दौरान आने वाली हाइपरसोनिक स्थितियों का अनुकरण करते हुए, 3-10 किमी एवं सेकेंड के बीच उड़ान गति उत्पन्न करने में सक्षम है। यह इसे गगनयान, आरएलवी और हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों सहित इसरो और डीआरडीओ के चल रहे मिशनों के लिए एक मूल्यवान परीक्षण सुविधा बनाता है। S2, जिसका उपनाम 'जिगरथंडा' है, एक 24 मीटर लंबी सुविधा है जो एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के भीतर आईआईटी कानपुर के हाइपरसोनिक एक्सपेरिमेंटल एयरोडायनामिक्स लैब्रटोरी (HEAL) में स्थित है। S2 को वैमानिकी अनुसंधान और विकास बोर्ड (एआरडीबी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), और आईआईटी कानपुर के वित्त पोषण और समर्थन के साथ तीन साल की अवधि में स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है ।

आईआईटी कानपुर में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग और लेजर और फोटोनिक्स केंद्र के एसोसिएट प्रोफेसर मोहम्मद इब्राहिम सुगरनो ने कहा, एस2 का निर्माण बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है, जिसके लिए भौतिकी और सटीक इंजीनियरिंग के गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है। सबसे महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण पहलू था 'फ्री पिस्टन ड्राइवर' प्रणाली को बेहतर बनाना, जिसके लिए एक पिस्टन को 6.5 मीटर से नीचे 20-35 वायुमंडल के बीच उच्च दबाव पर 150-200 मीटर प्रति सेकेंड की गति से संपीड़न ट्यूब में फायर करना और अंत में इसे पूर्ण विराम या 'सॉफ्ट लैंडिंग' पर लाना आवश्यक होता है ।“हालांकि, अपनी विशेषज्ञता के साथ, हम इस पर काबू पाने में सक्षम थे। हमारी टीम को इस अनूठी सुविधा को डिजाइन, निर्माण और परीक्षण करने पर गर्व है, जिसने विशिष्ट वैश्विक हाइपरसोनिक अनुसंधान समुदाय में भारत की स्थिति को मजबूत किया है।

आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रोफेसर जी. एम. कामथ ने कहा, “एस2 के साथ, हम अपने अनुसंधान क्षितिज को आगे बढ़ाते हुए, एयरोस्पेस क्षेत्र के उत्साही लोगों की एक नई पीढ़ी को प्रेरित कर रहे हैं और इस रोमांचक क्षेत्र में नवाचार और अन्वेषण को बढ़ावा दे रहे हैं। ऐसी सुविधा विकसित करने वाला भारत का पहला संस्थान होने के साथ हमने भारत और उसके बाहर हाइपरवेलोसिटी अनुसंधान के लिए एक नया मानक स्थापित किया हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/बृजनंदन