कॉनलिस ग्लोबल को प्रौद्योगिकी का लाइसेंस साबित होगा एक नया मील का पत्थर: प्रो. एस. गणेश
कानपुर,22 फरवरी (हि.स.)। कॉनलिस ग्लोबल को प्रौद्योगिकी का लाइसेंस देना चिकित्सा प्रौद्योगिकी में सफल
कॉनलिस ग्लोबल को प्रौद्योगिकी का लाइसेंस साबित होगा एक नया मील का पत्थर: प्रो. एस. गणेश


कानपुर,22 फरवरी (हि.स.)। कॉनलिस ग्लोबल को प्रौद्योगिकी का लाइसेंस देना चिकित्सा प्रौद्योगिकी में सफल मूल अनुसंधान के व्यावसायीकरण में एक नया मील का पत्थर है, ताकि इसका लाभ बड़ी आबादी तक पहुंच सके। यह बात गुरुवार को कॉनलिस ग्लोबल Inc. के साथ हुए एक समझौते के बाद आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. एस. गणेश ने इस मौके पर एमओयू के महत्व के बारे में बोलते हुए कहा।

उन्होंने कहा कि एक वैश्विक कंपनी के साथ एमओयू आईआईटी में उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान का भी प्रमाण है जो लोगों को वास्तविक और व्यावहारिक लाभ पहुंचाता है। यह नवोन्मेषी तकनीक इस बात का एक प्रमुख उदाहरण है कि हम कैसे वास्तविक बदलाव ला सकते हैं, और हम यह देखने के लिए उत्साहित हैं कि यह तकनीक न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर के लोगों की कैसे मदद करेगी।

कॉनलिस ग्लोबल Inc. की सीईओ डॉ. सुमृता भट्ट ने इस तकनीक के संभावित प्रभाव के बारे में उत्साह व्यक्त करते हुए कहा कि हम इस अभिनव तकनीक को बाजार में लाने के लिए आईआईटी कानपुर के साथ साझेदारी करके रोमांचित हैं। यह हड्डी और जोड़ों के विकारों के इलाज में एक महत्वपूर्ण कदम है और हम दुनिया भर के मरीजों को लाभ पहुंचाने के लिए इसे बाजार में लाने के लिए तत्पर हैं।

आईआईटी कानपुर के डीन ऑफ रिसोर्सेज एंड डेवलपमेंट प्रो. तरुण गुप्ता ने कहा कि कॉनलिस ग्लोबल के साथ इस एमओयू पर हस्ताक्षर अनुसंधान एवं विकास और किसी उत्पाद को प्रयोगशाला से वाणिज्यिक चरण और बाजार तक ले जाने के बीच एक पुल बनाने के हमारे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह हमें विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान का समर्थन करने और हमारे इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और अन्य प्रतिभाओं को उनके सपनों को साकार करने में मदद करने के लिए काम करना जारी रखने के लिए प्रेरित करेगा।

यह प्रौद्योगिकी, ‘मस्कुलोस्केलेटल पुनर्जनन में बायोएक्टिव अणु वितरण के लिए नैनो हाइड्रॉक्सीपैटाइट-आधारित पोरस पॉलिमर कम्पोजिट स्कैफोल्ड्स’ आईआईटी कानपुर में जैविक विज्ञान और बायोइंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अशोक कुमार और उनकी टीम द्वारा विकसित की गई है।

आईआईटी कानपुर के जैविक विज्ञान और बायो इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अशोक कुमार ने कहा कि प्रौद्योगिकी हड्डी-सक्रिय बायोमोलेक्युलस के वाहक के रूप में कार्य करके, उन्हें सीधे प्रत्यारोपण की साइट पर पहुंचाकर जैव-संगत तरीके से हड्डी पुनर्जनन की सुविधा प्रदान करती है। यह सामग्री वर्तमान में बाजार में उपलब्ध प्रौद्योगिकियों से जुड़ी कमियों और जटिलताओं को संबोधित करते हुए हड्डी के दोषों के पुनर्निर्माण और मरम्मत के लिए एक आशाजनक दृष्टिकोण है।

बता दें कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (आईआईटी-के) ने हड्डियों के उपचार और पुनर्जनन को बढ़ावा देने वाली एक नई उन्नत तकनीक के लाइसेंस के लिए कॉनलिस ग्लोबल Inc. के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। कॉनलिस ग्लोबल Inc. कनाडा में स्थित एक जैव प्रौद्योगिकी कंपनी है जो अनुसंधान एवं विकास के माध्यम से उत्पादों को बाजार में लाने में मदद करती है।

एमओयू पर प्रोफेसर तरूण गुप्ता, डीन ऑफ रिसोर्सेज एंड डेवलपमेंट आईआईटी कानपुर और डॉ. सुमृता भट्ट, सीईओ, कॉनलिस ग्लोबल Inc. ने आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर एस. गणेश, अंकुश शर्मा, प्रोफेसर प्रभारी, स्टार्टअप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर (एसआईआईसी), आईआईटी कानपुर, प्रोफेसर अशोक कुमार, जैविक विज्ञान और बायोइंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी कानपुर, और डॉ. रमन कौल, मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी, कॉनलिस ग्लोबल Inc. की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए।

हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/मोहित