अब एफडीआर तकनीक पर बनेगी पीएमजीएसवाई की सड़कें : केशव प्रसाद
- देश में सबसे पहले उत्तर प्रदेश ने अपनाया एफडीआर तकनीक - एफडीआर तकनीक अपनाने वाला ग्रामीण अभियंत्र
अब एफडीआर तकनीक पर बनेगी पीएमजीएसवाई की सड़कें : केशव प्रसाद


- देश में सबसे पहले उत्तर प्रदेश ने अपनाया एफडीआर तकनीक

- एफडीआर तकनीक अपनाने वाला ग्रामीण अभियंत्रण विभाग बना रोल माॅडल

लखनऊ, 25 जनवरी (हि.स.)। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि पीएमजीएसवाई (प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना) की सड़कों को शत-प्रतिशत एफडीआर तकनीक पर ही बनाया जाए। इसकी तैयारी की जाए कि भविष्य में पीएमजीएसवाई की सड़कों को ग्रामीण अभियंत्रण विभाग ही बनाए। इसके लिए जरूरी औपचारिकताएं शीघ्र पूरी की जाए। पीएमजीएसवाई की सड़कों की नियमित चेकिंग करने के साथ एफडीआर तकनीक से काम करने वाले कांट्रैक्टर्स की बैठक बुलाए जाने के निर्देश दिए।

पीएमजीएसवाई की सड़कों के निर्माण में एफडीआर तकनीक अपनाने वाला ग्रामीण अभियंत्रण विभाग रोल माॅडल है। उप मुख्यमंत्री ने कहा है कि एफडीआर तकनीक अपनाने से जिस पैसे की बचत हो रही है, उससे सड़कों के सौन्दर्यीकरण आदि पर व्यय किया जा सकता है। जैसे- सड़क किनारे जहां उचित हो राहगीरों, यात्रियों आदि के बैठने के लिए सीटें यूरेनल, जंकशन इम्प्रूवमेंट, वृक्षारोपण, टी गार्ड आदि कार्य करा सकते हैं, इसके प्लान बनाएं। एफडीआर तकनीक अपनाने वाले ठेकेदारों के साथ मीटिंग कराई जाए। उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य प्रान्तों के कांट्रैक्टर्स व विशेषज्ञों को भी बुलाकर विस्तार से चर्चा की जाए। एफडीआर तकनीक का फायदे का व्यापक संदेश समाज में दिया जाए।

उत्तर प्रदेश रूरल रोड डेवलपमेंट अथॉरिटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुखलाल भारती ने बताया कि इस तकनीक को बढ़ावा दिए जाने के प्रभावी प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्य अभियंता यूपीआरआरडीए राजकुमार चौधरी ने बताया कि अभियान चलाकर पीएमजीएसवाई की सड़कों का निरीक्षण कराया गया है और जहां कहीं भी कमियां परिलक्षित हुईं, वहां सुधारात्मक कार्य कराए गए।

लागत कम, मजबूती दोगुनी-कार्बन उत्सर्जन में कमी, ऐसा है एफडीआर तकनीक

उल्लेखनीय है कि पीएमजीएसवाई की सड़कों के निर्माण में देश में सबसे पहले उत्तर प्रदेश ने एफडीआर तकनीक का उपयोग किया है। ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के बाद अब लोक निर्माण विभाग ने इस तकनीक को अपनाया है। इस तकनीक के इस्तेमाल से 15-20 प्रतिशत लागत में बचत हो रही है और कार्बन उत्सर्जन में भी कमी होती है, सड़कें भी दोगुनी मजबूत बन रही है, ऐसा दावा किया गया है।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/राजेश