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आंध्र प्रदेश, 7 सितंबर (हि.स.)। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के नेता उदयनिधि स्टालिन ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वह हिंदू धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि जातिगत भेदभाव जैसी सनातन प्रथाओं के खिलाफ हैं। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नए संसद के उद्घाटन में आमंत्रित नहीं किया जाना इसका सबसे ज्वलंत और तात्कालिक उदाहरण बताया।
उदयनिधि ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नए संसद के उद्घाटन समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया। यह दिल को दुखाने वाला मामला है। उनसे माफी मांगने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वे बिल्कुल अपने बयान के लिए माफी नहीं मांगेंगे। वे अपने वैचारिक सिद्धांतों और बोले गए हर शब्द पर कायम हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह अपनी बात बार-बार दोहराएंगे। साथ ही स्पष्ट किया कि उनके कथन में सभी धर्मों को शामिल किया है, न कि केवल हिंदुओं को। उन्होंने जातिगत मतभेदों की निंदा की है न कि धर्मों की बातें कहीं है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे दयानिधि स्टालिन ने हाल ही में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि सनातन धर्म का न केवल विरोध किया जाना चाहिए, बल्कि उसका उन्मूलन किया जाना चाहिए।उनके इस बयान की शनिवार से ही आलोचना हो रही है। भाजपा के तमाम नेताओं ने माफी की मांग भी की है।
हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ आरबी चौधरी/चंद्र प्रकाश