विश्व फार्मासिस्ट-दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन
हिसार, 25 सितम्बर (हि.स.)। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा है कि फार्मासिस्ट चिकित्सा क्षेत्र के गुमनाम नायक हैं। स्वस्थ एवं समाज कल्याण में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है। भारत की फार्मेसी परंपरा प्राचीन एवं महान है।
प्रो. नरसी राम बिश्नोई सोमवार को विश्व फार्मासिस्ट-दिवस के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय के फार्मास्यूटिकल साइंसिस विभाग के सौजन्य से आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। समारोह में एडिशनल एसपी हिसार कुलदीप सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। विषय विशेषज्ञ वक्ता फार्मास्यूटिकल साइंसिस विभाग के पूर्व चेयरमैन एवं पूर्व अधिष्ठाता प्रो. डीसी भट्ट थे। अध्यक्षता फार्मास्यूटिकल साइंसिस विभाग की अधिष्ठाता एवं चेयरपर्सन प्रो. सुमित्रा सिंह ने की तथा विश्वविद्यालय के लर्निंग एंड ड्राइविंग लाइसेंस नोडल आॅफिसर डॉ. मनोज मेडल भी मंच पर उपस्थित थे। चौ. रणबीर सिंह सभागार के हाल नंबर 1 में हुए समारोह के दौरान सड़क, सुरक्षा एवं नियमों के प्रति जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किया गया।
प्रो. बिश्नोई ने कहा कि भारत की प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली अधिक कारगर एवं उपयोगी है। इस चिकित्सा पद्धति के लिए भारत को पूरे विश्व में जाना जाता है। उन्होेंने कहा कि विश्वविद्यालय का फार्मास्यूटिकल विभाग देश के उच्चस्तरीय फार्मेसी विभागों में से एक है। यहां से पढ़ने वाले फार्मासिस्ट अन्य क्षेत्र के साथ-साथ मेडिकल क्षेत्र में दुनियाभर में भारत एवं विश्वविद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को सड़क सुरक्षा नियम अपनाने पर बल देते हुए कहा कि खुद के बचाव में ही बचाव है।
विशिष्ट अतिथि एडिशनल एसपी कुलदीप सिंह ने कहा कि कई बार चालक वाहन चलाते समय अपने विवेक एवं एकाग्रता को बनाए नहीं रखते, जिसके फलस्वरूप हादसे हो रहे हैं। युवाओं को समझना चाहिए कि वे समाज व राष्ट्र की धरोहर हैं। युवाओं से बातचीत करते हुए एवं उनके प्रश्नों के उत्तर देते हुए कुलदीप सिंह ने कहा कि सपनों को पूरा करने के लिए हमेशा अपना शत-प्रतिशत दें। सफलता निश्चित तौर पर मिलेगी। अगर किसी कारण असफल हो भी जाते हैं तो उससे घबराएं नहीं, बल्कि स्वीकार कर प्रेरणा लेनी चाहिए।
मुख्य वक्ता प्रो. डीसी भट्ट ने कहा कि फार्मासिस्ट का रोगी का हमसफर, हमराज तथा हमदर्द भी होना जरूरी है। अगर वह बीमारी से होने वाली तकलीफों को समझ जाएगा तो इलाज में बेहतर योगदान भी दे सकेगा। उन्होंने बताया कि दवा चिकित्सक को उसकी मंजिल तक जाने में मदद करती है। प्रो. भट्ट ने इस अवसर पर भारत के आधुनिक फार्मेसी यात्रा के बारे में भी विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि यह एक बढ़ता हुआ क्षेत्र है। प्रो. सुमित्रा सिंह ने स्वागत संबोधन में कहा कि विश्वविद्यालय फार्मेसी के टॉप 50 में बना हुआ है। विभाग का साइटेशन 15 हजार से अधिक है तथा गत 5 वर्षों में 300 से अधिक पब्लिकेशन हो चुके हैं। धन्यवाद संबोधन डॉ. मनोज मेडल ने किया।
इस अवसर पर पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। फार्मेसी-डे पर हुई पोस्टर मेकिंग में मास्टर आफ फार्मेसी प्रथम वर्ष के चिराग जलुंदरा ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। बी फार्मेसी प्रथम वर्ष के प्रिंस द्वितीय रहे तथा बी फार्मेसी द्वितीय के रोमन तीसरे स्थान पर रहे। रोड सेफ्टी पर पोस्टर मेकिंग में बी फार्मेसी द्वितीय वर्ष के तुषार ने पहला स्थान प्राप्त किया। बी फार्मेसी द्वितीय वर्ष के दीपेंद्र दूसरे तथा बी फार्मेसी प्रथम वर्ष के सुनील तीसरे स्थान पर रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर