धर्मान्तरण रोकने के लिए हिन्दू समाज का जागरण करेगा संघ
लखनऊ, 24 सितम्बर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) धर्मान्तरण को रोकने व अस्पृश्यता जैसी
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लखनऊ, 24 सितम्बर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) धर्मान्तरण को रोकने व अस्पृश्यता जैसी कुरीति को रोकने के लिए हिन्दू समाज का जागरण करेगा। इसके लिए संघ सभी बस्तियों व उप बस्तियों में शाखा शुरू करेगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा.मोहन राव भागवत ने रविवार को सरस्वती कुंज निरालानगर में लखनऊ विभाग की विभाग टोली, भाग टोली व सभी नगर कार्यवाहों के साथ बैठक की। बैठक में सरसंघचालक ने कार्यकर्ताओं से शाखा की वर्तमान स्थिति व शाखा संचालन में आने वाली दिक्कतों के बारे में पूछा। वहीं संघ के कई कार्यकर्ताओं ने भी सरसंघचालक से प्रश्न पूछा।

धर्मान्तरण के प्रश्न पर पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए सरसंघचालक ने कहा कि संगठन श्रेणी व शाखा से जुड़े कार्यकर्ताओं का काम है शाखा लगाना। धर्मान्तरण रोकने का का काम धर्मजागरण गतिविधि का है। इसलिए सबको अपने-अपने दायित्व का बोध होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि धर्मान्तरण हिन्दू समाज की समस्या है। संघ का काम है हिन्दू समाज का जागरण। अगर बस्ती में शाखा होगी तो धर्मान्तण व लव जिहाद जैसी घटनाओं पर रोक लगेगी। हिन्दू समाज समस्याओं के समाधान के लिए खुद आगे आये ऐसा भाव समाज में निर्माण हो इसके लिए संघ काम करता है। सरसंघचालक ने कहा कि कहीं धर्मान्तरण का विषय आने पर समाज को आगे कर स्वयंसेवकों को पीछे से संबल देना चाहिए।

सभी उप बस्तियों में हो शाखा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शताब्दी वर्ष 2025 तक सभी बस्तियों व उप बस्तियों में शाखा शुरू करेगा। लखनऊ महानगर में भी करीब 450 शाखाएं लग रही हैं, उन्हें 1000 शाखाएं करने का लक्ष्य लिया गया है। बैठक में जोर दिया गया कि सभी बस्तियों में बच्चों ,तरूणों, प्रौढ़ों और व्यवसायियों की अलग-अलग शाखा होनी चाहिए। अभी जहां पर नियमित शाखा नहीं चल सकती वहां पर मिलन शुरू करना चाहिए।

शाखाओं पर प्रवास करें प्रवासी कार्यकर्ता

सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने कहा कि समाज के हर वर्ग की सहभागिता संघ की शाखा पर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी प्रवासी कार्यकर्ता कम से कम एक बस्ती व दो शाखाओं की जिम्मेदारी लें। शाखा पर शाखा टोली हो। शाखा टोली के प्रशिक्षण के नियमित अभ्यास वर्ग हों। सभी शाखाओं पर आयु के अनुसार शारीरिक व बौद्धिक कार्यक्रम की रचना की जाय। आयु वर्ग की शाखा के अनुसार ही मुख्य शिक्षक व कार्यवाह बनाना चाहिए। शाखाओं में नई भर्ती करने के लिए भी प्रयास होना चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन/पदुम नारायण