चेन्नई, 20 सितंबर (हि.स.)। ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) और भाजपा के संबंधों में बढ़ती खाई राजनीतिक दिखावा है या दांवपेंच? भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष के.अन्नामलाई की द्रमुक संस्थापक व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुरई पर की गई टिप्पणी से मामला गरमाया है। सोमवार को एआईएडीएमके की भाजपा से अलग जाने की घोषणा ने दोनों दलों के बीच पहले से ही चले आ रहे तनावपूर्ण संबंधों की जटिलता बढ़ा दी है।
वहीं, अन्नाद्रमुक के संगठन सचिव डी. जयकुमार का गुस्सा भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई पर है। जयकुमार का कहना है कि यह एकमात्र अवसर नहीं था जब अन्नामलाई ने द्रविड़ आंदोलन के अग्रणी नेताओं को निशाना बनाया है। उन्होंने पेरियार ईवी जैसे अन्य लोगों पर टिप्पणी की जो ठीक नहीं था। उन्होंने बताया कि जयललिता पर भाजपा नेता की टिप्पणियों ने अन्नाद्रमुक को उनके खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करने के लिए प्रेरित किया और प्रस्ताव में उन्हें राजनीतिक रूप से अनुभवहीन और अपरिपक्व बताया गया था।
मौजूदा स्थिति में लगता है कि दोनों दलों के बीच रिश्ता कमजोर हो रहा है। मई 2021 के विधानसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक के सत्ता खोने के दो महीने बाद पूर्व कानून मंत्री सीवी शनमुगम ने अपनी पार्टी की हार के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि भाजपा से गठबंधन ने पार्टी को अल्पसंख्यकों से अलग-थलग कर दिया। लेकिन, पार्टी के वर्तमान महासचिव एडप्पादी के. पलानीस्वामी जो उस समय पार्टी के सह-समन्वयक और समन्वयक ओ. पन्नीरसेल्वम ने मामले को रफा-दफा करते हुए गठबंधन जारी रखने की घोषणा कर दी थी। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि आपस में किसी प्रकार का मतभेद नहीं है।
बता दें कि भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई की नियुक्ति ने दोनों पार्टियों के बीच रिश्ते को बदल दिया था। फरवरी 2022 में भाजपा की राज्य इकाई ने शहरी स्थानीय निकाय चुनाव अपने दम पर लड़ा। इसके कारण दोनों दलों के रिश्ते में काफी गहरा असर पड़ा। इसके तीन महीने बाद अनुभवी अन्नाद्रमुक नेता सी. पोन्नैयन ने राज्य में अलग बढ़ने की कोशिश के लिए भाजपा की कड़ी आलोचना की। तब से दोनों पार्टियों के संबंध सुधारने की कवायद जारी है।
नई दिल्ली में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के नेताओं की बैठक में भाजपा द्वारा पलानीस्वामी को महत्त्व देते हुए कहा गया कि भाजपा अन्नाद्रमुक के साथ अपने रिश्ते को खत्म नहीं करना चाहती है। इस मामले में जयकुमार ने कहा कि गठबंधन पर निर्णय लोकसभा चुनाव के समय किया जाएगा।
जानकारी आ रही है कि भाजपा समझौते के लिए पलानीस्वामी से संपर्क करना शुरू कर दिया है। भाजपा के राज्य उपाध्यक्ष नारायणन तिरुपति ने सोमवार को सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था कि दोनों दलों के बीच गठबंधन जस का तस है। हालाँकि, ताजा स्थिति के अनुसार अन्नाद्रमुक और भाजपा के वैचारिक मतभेद कहीं न कहीं दिख रहे हैं। अब इसे चुनावी दांवपेंच कहा जाय या चुनावी रणनीति, सब जल्दी ही साफ हो जाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ आरबी चौधरी/संजीव