देश की 75 वर्षों की संसदीय यात्रा का पुनः स्मरण करते हुए आगे बढ़ने का समय : प्रधानमंत्री
नई दिल्ली, 18 सितंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को लोक सभा में कहा कि देश की 75 व
लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी


नई दिल्ली, 18 सितंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को लोक सभा में कहा कि देश की 75 वर्षों की संसदीय यात्रा का पुनः स्मरण करने के लिए और नए सदन में जाने से पहले उन प्रेरक पलों को, इतिहास की महत्वपूर्ण घड़ी को याद करते हुए आगे बढ़ने का ये अवसर है।

लोकसभा में प्रधानमंत्री ने कहा कि ये सही है कि इस इमारत के निर्माण का निर्णय विदेशी शासकों का था लेकिन ये बात हम कभी नहीं भूल सकते हैं कि इस भवन के निर्माण में देशवासियों का परिश्रम, पसीना और पैसा लगा था। उन्होंने कहा कि हम भले ही नए भवन में जाएंगे लेकिन ये पुराना भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सदन से विदाई लेना बहुत ही भावुक पल है। हम जब इस सदन को छोड़कर जा रहे हैं तो हमारा मन बहुत सारी भावनाओं और अनेक यादों से भरा हुआ है। जब मैंने पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन में प्रवेश किया तो सहज रूप से मैंने इस सदन के द्वार पर अपना शीश झुकाकर, इस लोकतंत्र के मंदिर को श्रद्धाभाव से नमन किया था।

लोकसभा में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह 75 साल की संसदीय यात्रा को याद करते हुए आगे बढ़ने का समय है। करीब-करीब 7,500 से अधिक जनप्रतिनिधि अब तक दोनों सदनों में अपना योगदान दे चुके हैं। इस कालखंड में करीब 600 महिला सांसदों ने दोनों सदनों की गरिमा को बढ़ाया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस संसद में पंडित जवाहर लाल नेहरू की ''आधी रात को'' की गई गूंज हमें प्रेरित करती रहेगी और यह वही संसद है, जहां अटल जी ने कहा था ''सरकारें आएंगी, जाएंगी; पार्टियां बनेंगी, बिगड़ेंगी; मगर ये देश रहना'' चाहिए। इस देश में दो प्रधानमंत्री ऐसे रहे (मोरारजी देसाई और वीपी सिंह) जिन्होंने कांग्रेस में अपना जीवन खपाया और एंटी कांग्रेस सरकार का नेतृत्व कर रहे थे। ये भी इसकी विशेषता थी।

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की मुक्ति का आंदोलन और उसका समर्थन भी इसी सदन ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व में किया था।इसी सदन ने इमरजेंसी में लोकतंत्र पर होता हुआ हमला भी देखा था और इसी सदन ने भारत के लोगों की ताकत का एहसास कराते हुए लोकतंत्र की वापसी भी देखी थी।

उन्होंने कहा कि सबका साथ, सबका विकास'' के मंत्र, दशकों से लंबित मुद्दों पर कई ऐतिहासिक फैसले, उनका स्थायी समाधान इस संसद में हुआ है। अनुच्छेद 370 ये सदन हमेशा याद रखेगा। वन नेशन वन टैक्स, जीएसटी का निर्णय भी इसी सदन ने किया। ''वन रैंक, वन पेंशन'' भी इसी सदन ने देखा। गरीबों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण बिना किसी विवाद के इसी सदन में हुआ।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता पूरे देश की सफलता है, किसी अकेले व्यक्ति या किसी एक पार्टी की नहीं है। भारत की शक्ति ने जी 20 घोषणापत्र पर सर्वसम्मति सुनिश्चित की। उन्होंने कहा कि हम सबके लिए गर्व की बात है कि आज भारत ''विश्व मित्र'' के रूप में अपनी जगह बना पाया है। आज पूरा विश्व, भारत में अपना मित्र खोज रहा है, भारत की मित्रता का अनुभव कर रहा है।

चंद्रयान-3 की सफलता का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस उपलब्धि से आज पूरा देश अभिभूत है। यह 140 करोड़ देशवासियों के संकल्प की शक्ति से जुड़ा हुआ है।

हिन्दुस्थान समाचार/सुशील

/दधिबल