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हरिद्वार, 16 सितम्बर (हि.स.)। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के तत्वावधान में पतंजलि आयुर्वेद हॉस्पिटल, पतंजलि अनुसंधान व पतंजलि विश्वविद्यालय के सहयोग से एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर एक्सटेंशन एण्ड ट्रेनिंग (एसआईएइटी) के साथ दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट के मध्य अनुसंधान कार्य करने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।
इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन आयुर्वेद के प्राचीन ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ने का कार्य कर रहा है। पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने आयुर्वेद को विश्व स्तर पर स्थापित करने के लिए साक्ष्य आधारित चिकित्सा प्रणाली विकसित की जो पूर्ण प्रामाणिकता के साथ आयुर्वेद को शिखर तक ले जा रही है। उन्होंने कहा कि आज देश के प्रधानमंत्री जी आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं। उसमें भी पतंजलि संस्थान की प्रमुख भूमिका रही है।
विशिष्ट अतिथि कोमल प्रसाद अहरवाल एवं पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन के प्रमुख डॉक्टर अनुराग वार्ष्णेय ने ‘आयुर्वेदिक औषधियों से उपचार विषय’ पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पतंजलि स्वास्थ्य, आध्यात्म, देशभत्तिफ़ और दीर्घायु का पर्याय बन गया है।
कार्यशाला में पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट के वैज्ञानिक सलाहकार डॉक्टर राजेश सक्सेना, पतंजलि हर्बल रिसर्च डिवीजन की वैज्ञानिक डॉक्टर प्रियंका चौधरी, डॉक्टर विवेक गोहल, पतंजलि आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रोफेसर डॉक्टर आशीष भारती गोस्वामी, ड्रग डिस्कवरी एंड डेवलपमेंट डिवीजन के डीजीएम ऑपरेशन्स प्रदीप नैन आदि ने सम्मेलन में अपने शोध साझा किए।
हिन्दुस्थान समाचार / रजनीकांत
/प्रभात