भोजपुरी सिनेमा पर उल्लेखनीय योगदान के लिए मनोज भावुक का हुआ सम्मान
लखनऊ, 17 जुलाई (हि.स.)। फिल्मफेयर एवं फेमिना की ओर से रविवार को आयोजित कार्यक्रम में भोजपुरी आइकॉन्स
मनोज 


लखनऊ, 17 जुलाई (हि.स.)। फिल्मफेयर एवं फेमिना की ओर से रविवार को आयोजित कार्यक्रम में भोजपुरी आइकॉन्स- रील एंड रीयल स्टार्स समारोह में फिल्म समीक्षक और भोजपुरी सिनेमा के इतिहासकार मनोज भावुक को भोजपुरी साहित्य और सिनेमा के इतिहास पर किये गए उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

इस मौके पर पद्मभूषण शारदा सिन्हा को लोक संगीत के लिए, संजय मिश्रा को प्राइड ऑफ भोजपुरी मिट्टी, मनोज तिवारी को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड और रवि किशन को ओटीटी और सिनेमा के लिए सम्मानित किया गया।

मनोज भावुक को भोजपुरी साहित्य व सिनेमा में उल्लेखनीय योगदान के लिए यह सम्मान फेमिना की प्रधान संपादक अंबिका मट्टू व दक्षिण के निर्देशक विक्रम वासुदेव द्वारा संयुक्त रूप से प्रदान किया गया।

मनोज भावुक लिख रहे हैं भोजपुरी सिनेमा का इतिहास

तस्वीर जिदंगी के (भोजपुरी गजल संग्रह) व चलनी में पानी (भोजपुरी कविता-संग्रह) मनोज भावुक की चर्चित पुस्तकें हैं। मनोज भोजपुरी सिनेमा के इतिहास पर पिछले 25 वर्षों से लिख रहें हैं। वर्ष 2000 में ही भोजपुरी सिनेमा के प्राचीन इतिहास (1962-2000) पर किताब लिखी थी। इनके लेख धारावाहिक रूप में कई पत्र-पत्रिकाओं में छपते रहे। कई लोगों ने सिनेमा पर किये अपने शोध व पीएचडी में मनोज भावुक के रिसर्च को ही आधार बनाया है। पेंग्विन से भोजपुरी सिनेमा पर छपी अभिजीत घोष की अंग्रेजी किताब में भी भावुक के तमाम सिनेमा-लेखों व शोध-पत्रों का जिक्र है। 'भोजपुरी सिनेमा के संसार' नाम की साढ़े चार सौ पृष्ठों की यह किताब पिछले साढ़े तीन साल से भोजपुरी-मैथिली अकादमी, दिल्ली के पास प्रकाशनाधीन है। इसमें मनोज ने 1931 से लेकर 2019 तक के भोजपुरी सिनेमा के सफर पर बात की है।

मनोज भावुक फिल्मों में भी किए हैं अभिनय, लिखें हैं गीत

सौगंध गंगा मईया के और रखवाला नामक फिल्म में मनोज भावुक ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की है। इसके अलावा बहुत सारे टीवी सीरियल और डॉक्यूमेंटरीज में भी काम किया है। मनोज बिहार आर्ट थियेटर, कालिदास रंगालय, पटना के टॉपर रहे हैं। मेंहदी लगा के रखना नामक एक फिल्म में मनोज का गीत खूब वाइरल हुआ-अँचरा छोड़ा के चल काहे दिहले एतना दूर ए माई '। मनोज ने भोजपुरी के लगभग सभी चैनलों में वरिष्ठ पदों पर काम किया है और विविध विषयों कार्यक्रम बनायें हैं।

सपना हुआ साकार

मनोज भावुक कहते हैं कि भोजपुरी इंडस्ट्री फ़िल्म फेयर और फेमिना तक पहुंच गई। यही आपने आप में बड़ी उपलब्धि है। फिल्मफेयर एवं फेमिना द्वारा सम्मान मिलना बड़ी बात है। अपने आप को सौभाग्यशाली समझता हूं। भोजपुरी साहित्य और सिनेमा, खासकर इतिहास लेखन के लिए पहली बार किसी फिल्म अवार्ड शो में मुझे सम्मानित किया गया है, इस सम्मान के लिए फिल्मफेयर एवं फेमिना के प्रति शुक्रगुजार हूँ और यह सम्मान भोजपुरी भाषा व भोजपुरी भाषियों को समर्पित है।

गौरतलब है कि मनोज बिहार के सिवान जिले के कौसड़ गाँव के रहने वाले हैं। इनके पिताजी स्वर्गीय रामदेव सिंह हिंडाल्को रेणुकूट, उत्तर प्रदेश के प्रथम मजदूर नेता रहे हैं और बड़े पिताजी जंग बहादुर सिंह आजादी के तराने गाने के लिए जेल जाने वाले 103 वर्षीय सुप्रसिद्ध देशभक्त लोक गायक हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन/राजेश