सूरत में टेक्निकल टेक्सटाइल कारोबार को बूस्ट कर रही पानी की बेकार बोतलें
- करोड़ों का हो रहा कारोबार, स्पोर्ट्स वेयर से लेकर अस्पतालों में बड़े पैमाने पर डिमांड सूरत/अहमदाबा
टेक्निकल टेक्सटाइल


- करोड़ों का हो रहा कारोबार, स्पोर्ट्स वेयर से लेकर अस्पतालों में बड़े पैमाने पर डिमांड

सूरत/अहमदाबाद, 8 जून (हि.स.)। पानी की बोतलों को हम यूं ही फेंक देते हैं, लेकिन यह बेकार बोतल सूरत के कपड़ा उद्योग को नई ऊंचाई दे रहा है। सूरत में अब तक सिंथेटिक यार्न से साड़ियों और दूसरे वस्त्रों का निर्माण होता था, लेकिन धीरे-धीरे अब यहां रिसाइक्लिंग की वस्तुओं से भी कपड़े की नई वेरायटी विश्वभर में अपनी पहचान बनाने लगी है। केंद्र सरकार ने जब से टेक्निकल टेक्सटाइल और रिसाइक्लिक पर फोकस किया है, सूरत के व्यापारियों ने भी इस नए अवसर को हाथों हाथ लिया है, इसका नतीजा भी अब सामने आने लगा है।

सूरत में रिसाइकिल यार्न बनाने का कारोबार तेजी से जोर पकड़ने लगा है। सूरत में 3 और राजकोट में 1 मिलाकर कुल 4 कंपनियां पानी की बेकार बोतलों से यार्न तैयार कर रही हैं। यह चारों कंपनी साल में करीब 780 करोड़ बोतलों को रिसाइकिल कर 1.56 लाख टन फाइबर (चिप्स) बानती हैं। यह चिप्स यार्न बनाने वाली कंपनी खरीदती हैं। यार्न कंपनी इसका रिसाइकिल यार्न बनाती है।

तकनीकी वस्त्रों का उपयोग कृषि, वैज्ञानिक शोध, चिकित्सा, सैन्य क्षेत्र, उद्योग तथा खेलकूद के क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर होता है। तकनीकी वस्त्रों के उपयोग से कृषि, मछली पालन तथा बागवानी की उत्पादकता में वृद्धि होती है। ये सेना, अर्द्धसैनिक बल, पुलिस एवं अन्य सुरक्षा बलों की बेहतर सुरक्षा के लिए भी अहम हैं। इसके अलावा यातायात इन्फ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत और टिकाऊ बनाने के लिए इनका प्रयोग रेलवे, बंदरगाहों तथा हवाई जहाज़ों में किया जाता है। टेक्निकल टेक्सटाइल के क्षेत्र में रिसाइकिल यार्न की जबर्दस्त खपत है। यहां कि विदेशों में भी इनकी भारी डिमांड है। इस यार्न से जूते, ट्रैकशूट, जैकेट, सौफा-पर्दे-वाहनों के कवर, अस्पतालों के इस्तेमाल के कपड़े आदि का निर्माण होता है।

प्लेक्सपो इंडिया के चेयरमैन एवं लघु उद्योग भारती के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष वजू वघासिया ने कहा कि प्लास्टिक की बोतलें और अन्य वस्तुओं का उपयोग हमारे पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है। सूरत, राजकोट समेत अहमदाबाद में इसके लिए कई रिसाइक्लिस्ट प्लास्टिक की वस्तुओं का उपयोग कर दूसरी चीजें बना रहे हैं। इससे प्लास्टिक के उपयोग में कमी आती है। हाल में सरकार ने एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पांसिबिलिटी लागू किया है। यह छोटे उद्यमियों के लिए अनुकूल नहीं है, सरकार को छोटे रिसाइक्लिस्ट को इससे बाहर निकालना चाहिए।

सरकार दे रही बढ़ावा

टेक्निकल टेक्सटाइल भारत में तेजी से बढ़ने वाले सेक्टर और राजस्व पैदा करने वाले प्रमुख क्षेत्रों में से एक है। तकनीकी टेक्सटाइल में मेडिकल टेक्सटाइल, एग्रो टेक्सटाइल, प्रोटेक्शन टेक्सटाइल, जियोटेक्सटाइल और ऑटोमोटिव अनुप्रयोगों के लिए सामग्री शामिल हैं। वैश्विक बाजार में तकनीकी वस्त्रों की उच्च खपत है और यह उद्यमियों के लिए प्रमुख आकर्षण है । टेक्निकल टेक्सटाइल में वैश्विक योगदान लगभग 27% है, जबकि भारत का योगदान मात्र 11% है। वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन बढ़ाने और देश में उद्यमशीलता को मजबूत करने के लिए कपड़ा मंत्रालय ने 11वीं और 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान कई तकनीकी वस्त्र योजनाएं शुरू की हैं। भारतीय तकनीकी वस्त्र बाज़ार का अनुमानित आकार 16 अरब डॉलर है जो 250 अरब डॉलर के वैश्विक तकनीकी वस्त्र बाज़ार का लगभग 6 प्रतिशत है। हालांकि देश में तकनीकी वस्त्रों की पहुंच काफी कम (मात्र 5 से 10 प्रतिशत) है, जबकि विकसित देशों में यह आंकड़ा 30 से 70 प्रतिशत के आसपास है।

हिन्दुस्थान समाचार/ बिनोद/पवन