(विशेष खबर) कन्या शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए गुजरात ने 20 वर्ष में बनाए 81 हजार शौचालय
- सरकारी स्कूलों में कन्या ड्राप आउट रेशियो 33 फीसदी से घटकर 3 फीसदी पर पहुंचा - स्कूलों में नामांकन
(विशेष खबर) कन्या शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए गुजरात ने 20 वर्ष में बनाए 81 हजार शौचालय


- सरकारी स्कूलों में कन्या ड्राप आउट रेशियो 33 फीसदी से घटकर 3 फीसदी पर पहुंचा

- स्कूलों में नामांकन के बाद स्थाई हुई छात्राओं के दर में भी बढोतरी

अहमदाबाद, 08 जून (हि.स.)। गुजरात में कन्या शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राज्य में 20 वर्ष पूर्व शुरू हुई मुहिम का अब परिणाम आने लगा है। गुजरात के मुख्यमंत्री रहने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कन्या केलवणी योजना शुरू की तो साथ ही उन्होंने छात्राओं के स्कूल छोड़ने की वास्तविक वजह पर भी काम शुरू किया। इसके परिणाम स्वरूप 20 वर्ष बाद इसमें बड़ा बदलाव आया है। वर्ष 2003 में जहां राज्य में कन्या ड्रॉप आउट रेशियो 33.17 फीसदी था, वह अब घटकर 3 फीसदी हो गया है। इस बदलाव के लिए पिछले 20 वर्षों में राज्य के प्राथमिक स्कूलों में 81 हजार 358 शौचालयों का निर्माण कराया गया।

राज्य में इस साल 12 से 14 जून तक शाला प्रवेशोत्सव और कन्या केलवणी का 20 वर्ष का महोत्सव मनाया जाएगा। इस 20 साल में राज्य के प्राथमिक स्कूलों में 51420 कन्या शौचालय और 26830 बालक शौचालय का निर्माण कराया गया। वहीं 3108 दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए शौचालय बनाए गए। इन सभी भौतिक सुविधाओं के परिणामस्वरूप राज्य में बच्चों के स्कूल में प्रवेश होने के बाद टिके रहने का रेशियो भी बढ़कर 66.83 फीसदी से बढकर 93.12 फीसदी हो गया। शिक्षित कन्या दो कुल को तारती है, इस भावना के साथ गुजरात के मुख्यमंत्री रहते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20 वर्ष पूर्व अभियान की शुरुआत कराई थी।

स्कूलों की स्वच्छता पर भी फोकस

राज्य के प्राथमिक स्कूलों में शौचालय की सुविधा के साथ वहां स्वच्छता के लिए भी सरकार ने फंड की व्यवस्था कराई। कक्षा 1 से 4 के स्कूलों के लिए 1200 रुपये और कक्षा 1 से 7 तक के लिए एक स्कूल के लिए 2400 रुपये वार्षिक ग्रांट दिए गए। वर्ष 2010-11 से इस राशि को बढ़ाते हुए हर महीने स्कूलों को 400 रुपये चुकाए गए। वर्ष 2015-16 से यह राशि बढ़ाकर हर महीने 1800 रुपये किए गए। इसके बाद वर्ष 2020-21 से राज्य के सभी सरकारी प्राथमिक स्कूलों में स्वच्छता के लिए स्कूलों को विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर राशि दी जाती है। इसमें 100 विद्यार्थी तक के स्कूलों के लिए हर महीने 1000 रुपए और 101 से 300 की संख्या वाले स्कूलों के लिए 1800, 301 से 500 विद्यार्थी वाले स्कूलों को 4000 और 501 से अधिक संख्या वाले स्कूलों को 5000 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं। इस तरह सबसे पहले वर्ष 2005 में 128.75 लाख रुपये का प्रावधान किया गया। इस राशि का पूरा का पूरा उपयोग कन्या प्राथमिक स्कूलों में स्वच्छता बढ़ाने के लिए किया गया। इस तरह हर साल इस राशि को बढ़ाई गई। इसमें वर्ष 2021 में 3934.39 लाख रुपये, वर्ष 2022 में 6891 लाख रुपये का प्रावधान किया गया। इस तरह पिछले 18 साल के दौरान सरकार ने स्कूलों में स्वच्छता के लिए कुल 62953.70 लाख रुपये का प्रावधान किए जिसमें से 57117.18 लाख रुपये का खर्च किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार/ध्रुवि त्रिवेदी/बिनोद पांडेय/प्रभात