कृत्रिम वर्षा कराने का आईआईटी कानपुर ने किया सफल परीक्षण
कानपुर, 22 जून (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर ने 21 जून को क्लाउड सीडिंग के लिए कृत्रि
कृत्रिम वर्षा कराने का आईआईटी कानपुर ने किया सफल परीक्षण


कानपुर, 22 जून (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर ने 21 जून को क्लाउड सीडिंग के लिए कृत्रिम वर्षा कराने का परीक्षण सफल हो गया। अब कृत्रिम वर्षा से कानपुर समेत आस-पास के किसानों की समस्या निदान किया जा सकता है। इस सफलता के लिए केन्द्र सरकार ने इस सफल परीक्षण के लिए खुशी जाहिर किया है। यह जानकारी गुरुवार को आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मनिन्द्र अग्रवाल ने दी।

उन्होंने बताया कि यह परियोजना कुछ साल पहले आईआईटी कानपुर में शुरू की गई थी और इसका नेतृत्व कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग का है। यह प्रयोग डीजीसीए (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) से उचित अनुमोदन के साथ आयोजित किया गया था। क्लाउड सीडिंग में वर्षा की संभावना को बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न रासायनिक एजेंटों जैसे सिल्वर आयोडाइड, सूखी बर्फ, नमक और अन्य तत्वों का उपयोग शामिल है। आईआईटी कानपुर द्वारा किए गए प्रयोग में, क्लाउड सीडिंग अटैचमेंट के साथ आईआईटी कानपुर की उड़ान प्रयोगशाला से एक सेना विमान उड़ाया गया था। ये अटैचमेंट अमेरिका के एक निर्माता से खरीदे गए थे और विमान में संशोधनों को से सना और डीजीसीए के निर्माताओं दोनों द्वारा अनुमोदित किया गया था। परीक्षण उड़ान ने मानक अभ्यास के अनुसार फ्लेयर का उपयोग करके एजेंटों को फैलाया।

प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि “हमें ख़ुशी है कि क्लाउड सीडिंग के लिए हमारा परीक्षण सफल रहा। हमने फ्लेयर्स को बादलों में नहीं दागा। यह केवल उपकरण के लिए एक परीक्षण था। सफल परीक्षण उड़ान का अर्थ है कि अब हम बाद के चरणों में क्लाउड सीडिंग करने और इसे सफल बनाने के लिए तैयार हैं।“ उन्होंने आगे कहा “हम बीते कुछ वर्षों से इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। कोविड के कारण खरीद प्रक्रियाओं में देरी हुई। लेकिन अब, डीजीसीए से मंजूरी और पहले परीक्षण के सफल समापन के बाद, हम सेटअप पूरा करने के करीब हैं। यह परीक्षण उड़ान लगभग 5000 फीट की ऊंचाई तक गई और सफलतापूर्वक परीक्षण पूरा करने के बाद आईआईटी कानपुर फ्लाइट लैब हवाई पट्टी पर वापस आ गई।“

हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/आकाश