जानलेवा नसों की बीमारियों से बचाव के लिए प्रदेश भर में चलाया जाएगा जागरुकता अभियान
देहरादून, 10 जून (हि.स.)। स्वस्थ उत्तराखंड मुहिम के तहत जानलेवा नसों की बीमारियों से बचाव के लिए प्
डॉ प्रवीण जिंदल पत्रकारों से बातचीत करते हुए।


डॉ प्रवीण जिंदल पत्रकारों से बातचीत करते हुए।


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देहरादून, 10 जून (हि.स.)। स्वस्थ उत्तराखंड मुहिम के तहत जानलेवा नसों की बीमारियों से बचाव के लिए प्रदेश भर में व्यापक जागरुकता अभियान चलाया जाएगा।

शनिवार को शहर के एक निजी होटल में ‘विचार एक नई सोच’ सामाजिक संगठन ने पेरिफेरल वैस्कुलर जैसी गंभीर बीमारी को लेकर एक दिवसीय स्वास्थ्य जन जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया। उत्तराखंड के एकमात्र वरिष्ठ वास्कुलर सर्जन डा. प्रवीण जिन्दल इस अभियान का हिस्सा बने।

डा. जिंदल ने बताया कि यह बीमारी मौजूदा कार्य की संस्कृति में हुए बदलाव के कारण बढ़ रही है। देहरादून व आसपास के स्कूलों में अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है। यह बीमारी महिलाओं, पत्रकारों, शिक्षकों और सैनिको में सबसे ज्यादा हो रही है। वे दिनभर में अधिकांश खड़े ही रहते हैं। अधिक समय खड़े रहने से ही यह बीमारी बढ़ जाती है। इसके अलावा खान पान और शारीरिक व्यायाम के अभाव में भी नसों से संबंधित बीमारियां फैलती हैं।

उन्होंने बताया कि देहरादून से शुरू हुआ यह अभियान को प्रदेशव्यापी बनाया जाएगा। इस बीमारी के प्रति लोगों की जागरूकता के लिए उत्तराखंड के सीमांत इलाकों व दुर्गम क्षेत्रों में निशुल्क हेल्थ कैंप भी लगाये जायेंगे।

डा. प्रवीण जिन्दल के अनुसार ऐसी घातक बीमारी से बचने के आज कई प्रकार के उपचार उपलब्ध हैं। बीमारी की जद में आने से पहले हमें सुरक्षा के बचाव खुद से करना चाहिए।स्वस्थ्य जीवनशैली के लिए, संतुलित आहार, शुगर व कोलेस्ट्राल पर नियंत्रण करने से भी नसों से संबंधित बीमारियों से बचा जा सकता है। इसका संबंध खून से होता है और बाद में यह वैस्कुलर, वेरीकोस वेंस, हाथ पैरों के जोड़ों में दर्द, पैरों में सूजन और डीप वेन थ्रोम्बोसिस जैसी घातक बीमारी का रूप ले लेती है।

डा. जिंदल का कहना है कि अन्य राज्यों की तुलना में नसों से संबंधित बीमारी से ग्रसित मरीजों की संख्या उत्तराखंड में अधिक है। यहां पर लोग धूम्रपान,शराब का सेवन अधिक करते हैं।

कम दूरी तय करने में ही थकावट महसूस होना, पैरों व टांगों में सूजन, पैर के रंग का परिवर्तन होना, सुन्नपन, पैर की उंगलियों का काला पड़ना, पेट में तेज दर्द होना, लकवा जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत वैस्कुलर चिकित्सक से सलाह लेकर समय रहते उपचार कराना चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश/रामानुज