वित्त वर्ष 2023-24 में बरकरार रह सकती है भारत के विकास की गति: आरबीआई
मजबूत व्यापक आर्थिक नीतियों और जिंस कीमतों में नरमी की वजह से भारत के विकास की गति वित्त वर्ष 2023-24 में बरकरार रह सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यह बात कही।

 
आरबीआई के लोगो का फाइल फोटो 

मुंबई/नई दिल्ली, 30 मई (हि.स.)। मजबूत व्यापक आर्थिक नीतियों और जिंस कीमतों में नरमी की वजह से भारत के विकास की गति वित्त वर्ष 2023-24 में बरकरार रह सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यह बात कही।

आरबीआई ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में चालू वित्त 2023-24 वर्ष में मुद्रास्फीति में कमी की उम्मीद भी जताई है। हालांकि, रिपोर्ट में यह कहा गया है कि धीमी वैश्विक वृद्धि, दीर्घकालिक भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक वित्तीय प्रणाली में दबाव की ताजा घटनाओं के कारण अगर वित्तीय बाजार में अस्थिरता होती है, तो इससे वृद्धि के लिए नकारात्मक जोखिम पैदा हो सकते हैं।

रिजर्व बैंक की ओर से जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक मजबूत व्यापक आर्थिक नीतियों, जिंस कीमतों में नरमी, मजबूत वित्तीय क्षेत्र, स्वस्थ कॉरपोरेट क्षेत्र, सरकारी व्यय की गुणवत्ता पर लगातार जोर, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के पुनर्गठन और महंगाई के मोर्चे पर नरमी के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर की गति वित्त वर्ष 2023-24 में बरकरार रहने की उम्मीद है।

रिपोर्ट के मुताबिक एक स्थिर विनिमय दर और एक सामान्य मानसून के साथ यदि अल नीनो की घटना नहीं होती है, तो मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2023-24 में और नीचे जाने की उम्मीद है।

आरबीआई की रिपोर्ट में थोक महंगाई दर घटकर 5.2 फीसदी से कम रहने का अनुमान जताया गया है, जो बीते वित्त वर्ष 2022-23 में 6.7 फीसदी थी। आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट इसके केंद्रीय निदेशक मंडल की एक वैधानिक रिपोर्ट है।

हिन्दुस्थान समाचार/प्रजेश शंकर/ब्रजेश