गिर सोमनाथ के 'केसर' आम को कहते हैं, फलों के राजा आम की पत्नी
- फलों के राजा आम 'केसर' प्रजाति का है रोचक इतिहास - रंग-रूप एवं खूबसूरती से इसे आमों की रानी भी कहत
केसर आम


- फलों के राजा आम 'केसर' प्रजाति का है रोचक इतिहास

- रंग-रूप एवं खूबसूरती से इसे आमों की रानी भी कहते हैं

- जूनागढ़ के नवाब ने 25 मई, 1931 को किया था नामकरण

जूनागढ़/अहमदाबाद, 25 मई (हि.स.)। गुजरात में होने वाले आमों की प्रजाति में श्रेष्ठ 'केसर' आम का 25 मई को जन्मदिन है। जूनागढ़ के नवाब ने 25 मई, 1931 को आम की इस प्रजाति का नामकरण 'केसर' आम के रूप में किया था। इसकी वजह से जूनागढ़ कृषि यूनिवर्सिटी में इस दिन को 'मैंगो डे' के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2011 में गिर सोमनाथ जिले के तालाला के प्रख्यात 'केसर' आम को जीआई टैग दिया गया था। वर्ष 1931 से 1934 तक इस आम को सालेभाई की आंबडी के रूप में जाना जाता था। इस आम के रंग-रूप और खूबसूरती के कारण इसे फलों के राजा आम की पत्नी के रूप में जाना जाता है।

फलों के राजा आम की क्षेत्रवार कई रोचक किस्से-कहानियां प्रचलित है। गिर सोमनाथ जिले के तालाला का 'केसर' आम विश्व विख्यात है। आम का सीजन शुरू होने के साथ ही इस आम का विदेश निर्यात शुरू हो जाता है। खासकर ब्रिटेन और कनाडा में इसकी भरपूर मांग है। केसर आम का रूप, रंग और गुण के साथ लाजवाब स्वाद लोगों को खूब भाता है। इस आम के खूबसूरत आकार के कारण इसे फलों की रानी आम भी कहा जाता है। गिर सोमनाथ जिले का केसर आम देश में होने वाले आमों का एक प्रकार है, लेकिन गिर जंगल का केसर आम अपने चमकते नारंगी रंग के कारण विख्यात है। इस आम की कहानी वर्ष 1931 से ज्ञात होती है। इस दौरान सर्वप्रथम जूनागढ के वजीर सालेभाई ने जूनागढ़ जिले के गिरनार पर्वत की तलहटी में वर्ष 1931 के दौरान खेतों में 75 आम के पौधे रोपे थे। यहां का आम वर्ष 1934 के दौरान केसर आम के रूप में विख्यात हुआ। जूनागढ़ के तत्कालीन नवाब मोहम्मद महाबतखान बाबी ने इसके केसरी रंग देखकर इसका नामकरण केसर आम किया था।

सौराष्ट्र क्षेत्र में जूनागढ़, गिर सोमनाथ और अमरेली जिले के करीब 29,805 हेक्टेयर जमीन में केसर आम के बगीचे हैं। इसमें हर साल करीब 2 लाख टन आम का उत्पादन होता है। सिर्फ गिर अभ्यारण्य के आसपास के क्षेत्र में होने वाले केसर आम को गिर केसर आम कहा जाता है। यह आम सामान्य तौर पर अप्रैल से आना शुरू हो जाता है। वहीं मानसून के बाद अक्टूबर से इसमें मोजर आदि लगने शुरू होते हैं। गिर केसर आम की भौगोलिक पहचान के लिए जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय ने प्रस्ताव भेजा था। इसके बाद वर्ष 2011 में चेन्नई में जीयोग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री की ओर से आवेदन मंजूर किया गया। इसके बाद इस क्षेत्र के आम को गिर केसर आम कहा जाने लगा।

हिन्दुस्थान समाचार/ बिनोद/प्रभात