Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
लखनऊ, 19 मई (हि.स.)। विधान परिषद उपचुनाव (एमएलसी) में सामान्यतया यह नहीं होता है कि विपक्ष उपचुनाव में कोई उम्मीदवार खड़ा करे, क्योंकि विधानसभा में जिस दल का बहुमत होता है उसी दल का व्यक्ति विजयी होता है। लेकिन समाजवादी पार्टी ने यह नई परम्परा डाली है कि विपक्ष में रहने के बाद विधान परिषद के उपचुनाव में उम्मीदवारों को हराने के उद्देश्य से उतारा है। समाजवादी पार्टी पिछड़े और दलित की बात कर रही है लेकिन यहां पर दोनों पिछड़े और दलित उम्मीदवारों का हारना निश्चित है।
समाजवादी पार्टी पर यह हमला उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री सुरेश खन्ना ने बोला है। उन्होंने कहा कि यह निर्विवाद सत्य है कि समाजवादी पार्टी ने हराने के लिये पिछड़े और दलित को मोहरा बनाया अर्थात एक राजभर समुदाय का व्यक्ति हारेगा और एक एस.सी. समुदाय का व्यक्ति हारेगा। जब जीतना होगा तब समाजवादी पार्टी उस समुदाय को टिकट देगी जो उसके अपने वोट बैंक कहे जाते हैं। यहां केवल हारने के लिये दोनों रामजतन राजभर तथा रामकरन निर्मल को उम्मीदवार बनाया गया है।
उल्लेखनीय है कि एमएलसी उपचुनाव में संख्या बल न होने के बावजूद सपा ने दोनों सीटों के लिए उम्मीदवारों को उतार दिया है। हालांकि राजनीतिक जानकार इसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवारों के र्निविरोध न होने के लिए सपा द्वारा अड़ंगा लगाने वाला कदम बता रहे हैं।
मालूम हो कि भाजपा ने एमएलसी चुनाव में पदमसेन चौधरी और मानवेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है। एक दिन पूर्व गुरुवार 18 मई तक दोनों सीटों के लिए नामांकन उम्मीदवारों द्वारा किया जा चुका है। 22 मई को नाम वापसी की अंतिम तिथि है। जबकि 29 मई को दोनों एमएलसी सीटों के लिए मतदान होगा। यूपी विधानसभा के सदस्य दोनों सदस्यों का चुनाव करेंगे। वहीं 29 मई को ही दोनों एमएलसी सीटों के लिए परिणाम आ जाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार/मोहित वर्मा/सियाराम