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मंडी, 17 अप्रैल (हि.स.)। खून की नलियों के स्वास्थ्य जानने और उम्र का असर समझने के लिए एक अभिनव, गैर-शल्य उपकरण वैज्ञानिकों ने तैयार किया है, जिससे हृदय रोगों की शुरुआती जांच बहुत आसानी से होगी। यह उपकरण इस तरह बना है कि जो विशेषज्ञ नहीं हैं वे भी सामान्य चिकित्सा जांच में आसानी से इसका उपयोग कर खून की नलियों का स्वास्थ्य जान सकते हैं। साथ ही भविष्य में सचेत रहने की सलाह दे सकते हैं।
डिवाइस में एक प्रोपराइटरी नॉन-इमेजिंग प्रोब और एक इंटेलिजेंट कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म है। इसका विकास आईआईटी मद्रास के हेल्थकेयर टेक्नोलॉजी इनोवेशन सेंटर एचटीआईसी ने किया है। डिवाइस का परीक्षण पांच हजार से अधिक मनुष्यों पर किया जा चुका है और इस टेक्नोलॉजी को यू.एस., यूरोपीय संघ और भारत में पांच युटिलिटी पेटेंट, 10 डिजाइन पेटेंट प्राप्त हैं और विभिन्न अधिकार क्षेत्रों में 28 पेटेंट मिलने वाले हैं।
यह प्रोडक्ट व्यापक परीक्षण के बाद टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और व्यावसायीकरण के लिए तैयार है। आईआईटी मद्रास की टीम ने इसके उपयोग से सालाना एक लाख से अधिक वैस्कुलर स्क्रीनिंग रक्त वाहिकाओं की आरंभिक जांच का लक्ष्य रखा है। इस उपकरण की टेक्नोलॉजी और कार्यक्षेत्र से प्राप्त परिणाम अब तक 100 से अधिक वैज्ञानिक सहकर्मी-समीक्षित प्रकाशनों में छप चुके हैं।
नवीनतम शोध पत्र का प्रकाशन एक प्रतिष्ठित, पीयर-रिव्यू जर्नल ऑफ हाइपरटेंशन और अमेरिकन जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी-हार्ट एंड सर्कुलेटरी फिजियोलॉजी में किया गया। यह शोध आईआईटी मद्रास के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. जयराज जोसेफ के मार्गदर्शन में किया गया। जर्नल ऑफ हाइपरटेंशन में प्रकाशित शोध पत्र डॉ. पी. एम. नबील, लीड रिसर्च साइंटिस्ट, एचटीआईसी-आईआईटी मद्रास, श्री वी. राज किरण, पीएचडी स्कॉलर, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी मद्रास और डॉ. जयराज जोसेफ ने मिल कर तैयार किया है। हृदय और रक्त वाहिकाओं से संबंधित रोगों के इलाज और शल्य प्रक्रियाओं में काफी सुधार के बावजूद ये दुनिया भर में मृत्यु का मुख्य कारण बने हुए हैं। इनके उपचार की सफलता की कुंजी है, समस्या का जल्द से जल्द पता लगना और समय पर सही कदम उठाना।
आर्टसेंस की खासियत बताते हुए आईआईटी मद्रास के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. जयराज जोसेफ ने कहा कि खून की नलियों के स्वास्थ्य के विश्वसनीय आकलन के लिए त्वचा की सतह पर नहीं बल्कि सीधे खून की नलियों की दीवारों पर माप लेने की आवश्यकता होती है। हालांकि आर्टसेन्स बीमारी और उम्र बढ़ने के कारण खून की नलियों की दीवार पर मोलेक्यूल और प्रोटीन स्तर पर हुए परिवर्तन के असर का आकलन कर सकता है। यह बिल्कुल गैर-शल्य प्रक्रिया से जरूरी माप लेता है और सटीक परिणाम देता है।
डॉ. जयराज जोसफ ने आगे कहा कि आर्टसेंस की मदद से बड़ी आबादी के लिए रक्त वाहिकाओं की आयु का आसानी से आकलन किया जा सकता है। विशेष कर क्लिनिक और अन्य स्थानों जैसे जिम और सामान्य स्वास्थ्य केंद्र दोनों जगहों पर संभव होगा। भारत, अमेरिका और यूरोप में आर्टसेंस के क्लिनिकल अध्ययन को मंजूरी मिल गई है। एम्स नई दिल्ली में बड़ा क्लिनिकल अध्ययन चल रहा है। जर्नल ऑफ हाइपरटेंशन में हाल के अपने शोधपत्र में जाने-माने वैज्ञानिकों डॉ.पी.एम.नबील, वी. राज किरण और डॉ. जयराज जोसेफ ने यह उल्लेख किया है कि हमारी जानकारी में यह पहला डिवाइस है जिसे हाथ में थाम कर आसानी से उपयोग किया जा सकता है।
आर्टसेंस प्रोजेक्ट के एक अन्य सहयोगी डॉ. दीनू एस चंद्रन, फिजियोलॉजी विभाग, एम्स नई दिल्ली का कहना है कि आर्टसेंस एक ही जांच से सेंट्रल ब्लड प्रेसर के साथ-साथ लोकल और आर्टेरियल दोनों मामलों में सख़्त होने की स्थिति बता सकता है। इसलिए यह कई बीमारियों के शुरुआती मार्कर के रूप में रक्त वाहिकाओं के स्वास्थ्य की स्थिति का पता लगाने में बहुत उपयोगी होगा।
हिन्दुस्थान समाचार/मुरारी