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कानपुर, 26 मार्च (हि.स.)। फसल बोने से पूर्व किसान भाइयों को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि जिसमें पोषक तत्व अधिक पाए जाते हैं। उसी फसल को उपजाने से उसकी बाजार में मांग बढ़ेगी और अच्छी फसल के बदले लाभ अधिक होगा। यह जानकारी रविवार को ग्राम हांसेमऊ में कृषि वैज्ञानिक डॉ अनिल कुमार ने दी।
उन्होंने बताया कि कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने के साथ ही मानव जीवन को सुरक्षित करने पर काम करें। रासायनिक उर्वरक का उपयोग कम से कम करें, इसकी अपेक्षा प्राकृतिक खाद का उपयोग अधिक करने का भरपूर प्रयास करें। जिससे फसल में शुद्धता एवं पोषक तत्व में वृद्धि हो और नई बीमारियों को जन्म देने वाले फसल उगाने से अब किसानों को बचना चाहिए। जिससे मानव जीवन पर क्रू प्रभाव से बचा जा सके। प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाएं।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के मृदा विज्ञान विभाग एवं अखिल भारतीय समन्वित शोध परियोजना मृदा एवं पौधों में सूचहम एवं गौड़ पोषक तत्व के अंतर्गत ग्राम हांसेमऊ में कार्यक्रम संयोजक डॉ अनिल कुमार अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के किसानों को सूचहम एवं एवं गौण पोषक तत्वों की उपयोगिता एवं महत्व के बारे में जानकारी दी। खेती में लागत कमाए और मुनाफा अधिक हो। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर विभिन्न वैज्ञानिकों ने पोषक तत्वों की उपयोगिता विषयक विस्तार से जानकारियां दी।
डॉ अनिल ने बताया कि 15 अनुसूचित एवं अनुसूचित जनजाति के किसानों को कृषि उपयोगी सामग्री जैसे हंसिया, फावड़ा, खुरपी, तसला इत्यादि नि:शुल्क वितरित किए गए। इस अवसर पर राहुल प्रजापति, क्षितिज तिवारी, रिंकू सिंह, दीक्षा शुक्ला सहित लगभग 140 किसानों ने प्रतिभाग किया।
हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर