जूनागढ़ : एक साल में 16969 एकड़ जमीन में 12874 किसान करने लगे प्राकृतिक खेती
- सभी गांवों में 75 किसानों के प्राकृतिक खेती के लक्ष्य में जिला में 31.55 लक्ष्य हासिल - जिले के सभ
प्राकृतिक खेती


- सभी गांवों में 75 किसानों के प्राकृतिक खेती के लक्ष्य में जिला में 31.55 लक्ष्य हासिल

- जिले के सभी 250 फॉर्मर फ्रेंड को प्राकृतिक खेती का 3 दिवसीय प्रशिक्षण मिला

जूनागढ़/अहमदाबाद, 22 मार्च (हि.स.)। प्राकृतिक खेती को प्राथमिकता देने के केन्द्र और राज्य सरकार के आह्वान का जूनागढ़ में व्यापक असर हुआ है। पिछले एक साल में ही जूनागढ़ में प्राकृतिक खेती को लेकर किसानों में जबर्दस्त उत्साह व्याप्त है। केन्द्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हाल में प्राकृतिक खेती के बाजार का भूमिपूजन किया है, इससे किसानों के प्राकृतिक खेती से उपजाए गए सामान के लिए बाजार भी उपलब्ध होगा।

492 मास्टर ट्रेनर तैयार

जूनागढ़ जिले में किसान प्राकृतिक खेती को अपनाने लगे हैं। वर्ष 2022-23 के दौरान जिले के 12874 किसानों ने 16969 एकड़ जमीन में प्राकृतिक खेती शुरू की है। किसानों ने अपने खेतों में मूंगफली, कपास, सब्जियां, सोयाबीन, अरहर आदि फसलों को बोया। प्राकृतिक खेती के प्रति किसानों के बढ़ते रुझान के कारण प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में जूनागढ़ जिला राज्य में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। वर्ष 2023 के खरीफ सीजन में करीब 19 हजार किसानों ने 19 हजार एकड़ में अलग-अलग फसलों में प्राकृतिक खेती की। जिले के 492 गांवों में प्राकृतिक खेती को गति प्रदान करने के लिए हरेक गांव में एक मास्टर ट्रेनर योजना के तहत कुल 492 मास्टर ट्रेनर को प्रशिक्षण दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी गांवों में 75 किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने का आह्वान किया है। इसके तहत जूनागढ़ में कुल 31.55 फीसदी काम हुआ है। जिले के 250 फार्मर फ्रेंड को प्राकृतिक खेती का तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया है। जिले में दो चरण में 723 प्रशिक्षण आयोजित कर 29265 किसानों को सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया गया।

बेचने की भी व्यवस्था की

प्राकृतिक खेती से प्राप्त उपज की बिक्री व्यवस्था के लिए दिसंबर 2020 में 7 दिनों के लिए अमृत आहार उत्सव का आयोजन किया गया। इसमें 51 किसानों ने अपने उपज बिक्री के लिए प्रदर्शित किए थे, जिसमें करीब 12.5 लाख रुपये की बिक्री की गई। हाल में जूनागढ़ के आत्मा प्रोजेक्ट कार्यालय के पास हर रविवार को प्राकृतिक खेती की उपजों की बिक्री की जाती है। सरदार बाग के पास प्राकृतिक खेती के पैदावारों को स्थाई तौर पर बेचने के लिए केन्द्र बनाया गया है। यहां हर रविवार प्राकृतिक खेती से प्राप्त उपज को बेचा जाता है। इसमें 15 किसानों के पैदावारों की करीब 35 हजार रुपये की बिक्री होती है।

मूंगफली की सर्वाधिक खेती

जिले के किसान मूंगफली की सर्वाधिक प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। जिले के 7598 किसानों ने 9729 एकड़ जमीन में प्राकृतिक खेती से मूंगफली की पैदावार प्राप्त की है। इसके अलावा 1245 किसान 1457 एकड़ जमीन में कपास, 78 किसान 104 एकड़ जमीन में दिवेल (एरेंडा), 564 किसान 741 एकड़ जमीन में सोयाबीन, 541 किसान 795 एकड़ जमीन में सब्जियां, 142 किसान 312 एकड़ जमीन में मिक्स फसल, 1243 किसान 1974 एकड़ जमीन में हरा चना, 12 किसान 9 एकड़ जमीन में ज्वार और 647 किसान 974 एकड़ जमीन में बागवानी कर रहे हैं।

इन गांवों के किसानों ने अपनाई प्राकृतिक खेती

जिले की मालिया तहसील के सर्वाधिक 2073 किसानों ने प्राकृतिक खेती अपनाई है। इसके अलावा वंथली तहसील के सबसे कम 521 किसानों ने प्राकृतिक खेती अपनाई है। इसके अलावा जूनागढ़ तहसील के 690, भेंसाण के 939, केशोद के 1772, माणावदर के 772, मांगरोल के 1950, मेंदरडा के 1107, विसावदर के 1810 किसानों ने प्राकृतिक खेती अपनाई है।

हिन्दुस्थान समाचार/ बिनोद पांडेय