गुलाबों खूब लड़ी, सिताबों खूब लड़ी
पुतुल दिवस-21 मार्च पर लखनऊ में हुए शो लखनऊ, 21 मार्च ( हिं.स़.)। 21 मार्च को विश्व पुतुल दिवस के
गुलाबों खूब लड़ी, सिताबों खूब लड़ी


गुलाबों खूब लड़ी, सिताबों खूब लड़ी


पुतुल दिवस-21 मार्च पर लखनऊ में हुए शो

लखनऊ, 21 मार्च ( हिं.स़.)। 21 मार्च को विश्व पुतुल दिवस के अवसर पर लखनऊ में कई जगहों पर पुतुला शो हुआ। लोगों को कठपुतली शो में बहुत मजा आया। बच्चे तो बच्चे बड़ों ने भी इसे काफी पसंद किया।

अवध महोत्सव में तीन सौ साल पुरानी गुलाबो-सिताबों की कहानी को कठपुतली शो में दिखाया गया। दर्शकों ने इसका खूब आनंद लिया। इसकी प्रस्तुति मयूर पपेट संस्था की ओर से की गई। इसका निर्देशन प्रदीप त्रिपाठी ने किया। प्रदीप ने बताया कि गुलाबों-सिताबों की कहानी अवध के नवाब वाजिद अली शाह के जमाने से चली आ रही है। वह भी इसको अपने दरबार में कराया करते थे। यह कहानी दौ सौतन की कहानी है, जो आपस में हर बात पर तूू-तू मैं-मैं किया करती है। उनके झगड़े का अंत भी नहीं होता है। उन्होंने बताया यह कहने पहले भी प्रासंगिक थी और आज उतनी ही प्रासंगिक है, जिसको दर्शक चटखारे लेकर देखते है।

फ्रांस, जर्मनी सहित यूरोप के कई देशों में अपनी प्रस्तुति कर आए प्रदीप त्रिपाठी बताते हैं कि विदेशों में भी इसे बहुत चांव से देखा जाता हैं। इसमें कठपुतलियां ग्लब्स की थीं। इसमें केके राय और अग्नि सिंह ने कठपुतली संचालन और वाइस ओवर किया। प्रदीप बताते हैं कि हमने मांग की है कि शहर में कठपुतली के नियमित शो कराने की व्यवस्था होनी चाहिए।

कैसरबाग स्थित पुराने काफिला लोक नाट्य सस्थान की ओर से उर्दू अकादमी भवन में मेराज आलम के निर्देशन में शहीद उधम सिंह की जिंदगी पर प्रस्तुति दी गई। वहीं मो नौशाद के निर्देशन में गुलाबो-सिताबों कठपुतली शो हुआ। यहां पर भी लोगों की भीड़ रही। इसमें अजरा मेराज, तनय मेराज, चंद्रशेखर शुक्ला, संतोष यमराज, तन्मय लाहिरी, राज अम्बेेडकर,अभिषेक श्रीवास्तव ने संचालन किया।

मेराज बताते हैं कि इस दिन कठपुतली कलाकार आपस में मिलते है। उन्होंने बताया कि कठपुतली को पूरे विश्व में पसंद किया जाता है। इसमे किसी गंभीर बात के भी बडी आसानी कहा जा सकता है। उन्होंने बताया कि पुतलियों की उत्पत्ति राजा विक्रमादित्य के समय से मानी जाती है। जब एक कठपुतली आकर उनको ज्ञान देती है। उन्होंने बताया कि इस दिन रूस के महान पुतुल कलाकार सर्गेई अब्रात्सोव का निधन हुआ था। उनकी पुण्य तिथि में इस दिन पुतुल दिवस मनाया जाता है। इस दिन को वर्ल्ड यूनिमा ने घोषित किया था।

हिन्दुस्थान समाचार/शैलेंद्र