चीन सीमा के अग्रिम इलाकों में लगेंगे ग्रीन हाइड्रोजन माइक्रो ग्रिड पावर प्लांट
चीन सीमा के अग्रिम इलाकों में ग्रीन हाइड्रोजन आधारित माइक्रो ग्रिड पावर प्लांट लगाये जाएंगे। 'नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन' की तर्ज पर यह पावर प्लांट उन इलाकों में लगाये जाएंगे। यह बिजली संयंत्र भारतीय सेना के सैनिकों को हरित ऊर्जा प्रदान करेंगे और उच्च हिमालय में डी-कार्बोनाइजेशन में सहायता करेंगे।
चीन सीमा के अग्रिम इलाकों में ग्रीन हाइड्रोजन माइक्रो ग्रिड पावर प्लांट लगाने के लिए हुआ करार 

- भारतीय सेना ने एनटीपीसी-आरईएल के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

- राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 04 जनवरी को दी थी मंजूरी

नई दिल्ली, 21 मार्च (हि.स.)। चीन सीमा के अग्रिम इलाकों में ग्रीन हाइड्रोजन आधारित माइक्रो ग्रिड पावर प्लांट लगाये जाएंगे। 'नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन' की तर्ज पर यह पावर प्लांट उन इलाकों में लगाये जाएंगे, जो राष्ट्रीय या राज्य ग्रिड से नहीं जुड़े हैं। यह बिजली संयंत्र भारतीय सेना के सैनिकों को हरित ऊर्जा प्रदान करेंगे और उच्च हिमालय में डी-कार्बोनाइजेशन में सहायता करेंगे।

नई दिल्ली के सेना भवन में मंगलवार को भारतीय सेना और नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (एनटीपीसी आरईएल) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। सेना की ओर से क्वार्टर मास्टर जनरल (क्यूएमजी) ने एनटीपीसी आरईएल के सीईओ मोहित भार्गव के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इसी के साथ भारतीय सेना ने चीन की उत्तरी सीमाओं के साथ-साथ उन अग्रिम क्षेत्रों में ग्रीन हाइड्रोजन आधारित माइक्रो ग्रिड पावर प्लांट स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो राष्ट्रीय या राज्य ग्रिड से नहीं जुड़े हैं।

भारतीय सेना बिजली खरीद समझौते (पीपीए) के माध्यम से उत्पन्न बिजली खरीदने की प्रतिबद्धता के साथ 25 साल के लिए पट्टे पर आवश्यक भूमि उपलब्ध करा रही है। प्रस्तावित परियोजनाओं के लिए सेना और एनटीपीसी ने पूर्वी लद्दाख में संयुक्त रूप से जगह चिन्हित की हैं। इन्हीं स्थानों पर बिल्ड, ओन एंड ऑपरेट (बीओओ) मॉडल पर माइक्रो ग्रिड पावर प्लांट स्थापित किये जाएंगे। परियोजना में हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए पानी के हाइड्रोलिसिस के लिए एक सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया जायेगा, जो फ्यूल सेल्स के माध्यम से बिजली प्रदान करेगा।

सेना ने एक बयान में कहा है कि यह एमओयू भविष्य में इसी तरह की परियोजनाओं के लिए पृष्ठभूमि तैयार करेगा और ग्रीन-हाउस गैस उत्सर्जन में कमी के साथ जीवाश्म ईंधन आधारित जनरेटर सेट पर निर्भरता को कम करने में योगदान देगा। नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड के साथ भविष्य में इसी तरह की परियोजनाओं को शुरू करने के लिए भारतीय सेना ने इस तरह का पहला समझौता किया है।

क्या है राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 04 जनवरी को राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी थी। मिशन के लिए प्रारंभिक परिव्यय 19,744 करोड़ रुपये निर्धारित किये गए हैं, जिसमें साइट कार्यक्रम के लिए 17,490 करोड़ रुपये, पायलट परियोजनाओं के लिए 1,466 करोड़ रुपये, अनुसंधान एवं विकास के लिए 400 करोड़ रुपये और अन्य मिशन घटकों के लिए 388 करोड़ रुपये शामिल हैं।

मिशन का उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और इसके सहायक उत्पादों के उत्पादन, इस्तेमाल और निर्यात के लिए वैश्विक हब बनाना है। यह मिशन भारत को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनने और अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में मदद करेगा। केंद्र और राज्य सरकारों के सभी संबंधित मंत्रालय, विभाग, एजेंसियां और संस्थान मिशन के उद्देश्यों की सफल उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिए केंद्रित और समन्वित कदम उठाएंगे। मिशन के समग्र समन्वय और कार्यान्वयन के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय उत्तरदायी होगा।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत निगम