मौसम के बदले रुख से उदास हुए किसानों के चेहरे
कृषि विशेषज्ञ डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह ने भारी नुकसान से बचाव के लिए किसानों की दी सलाह लखनऊ, 18 मा
मौसम के बदले रूख से उदास हुए किसानों के चेहरे


कृषि विशेषज्ञ डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह ने भारी नुकसान से बचाव के लिए किसानों की दी सलाह

लखनऊ, 18 मार्च (हि.स.)। बेमौसम बारिश ने किसानों के चेहरे उदास कर दिए। शनिवार शाम से ही मौसम ने अपना रुख बदल लिया। ऐसी स्थिति में किसानों के ऊपर मानो कहर बरस रहा हो। यह मार्च का महीना है। इस महीने में गेहूं, सरसों, मसूर एवं चना की कटाई की होती है। बहुत से किसानों ने गेहूं, सरसों एवं मसूर की कटाई शुरू भी कर दी है। इस समय गेहूं की फसल पककर तैयार है, बेमौसम बारिश ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

बख्शी तालाब स्थित चंद्रभानु गुप्त कृषि महाविद्यालय के कृषि विशेषज्ञ डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि इस वर्ष आम की फसल बहुत अच्छी है, लेकिन मौसम का रुख बदलने से किसानों का काफी नुकसान होने की संभावना भी है। प्रमुख रूप से इस समय आम के पेड़ फल पर चूर्ण फफूंद रोग दहिया, बहुत से किसान इसे खर्रा रोग से भी जानते हैं, लगने की संभावना रहती है। यह रोग बदली और बरसात के मौसम में बहुत तेजी से फैलता है। उन्होंने बताया कि रोग से आम की फसल का 70 से 80 प्रतिशत उत्पादन कम हो जाता है। इस रोग में आम के बौर का अंदर का भाग फफूंद से ढक जाता है और बौर फफूंदी के कारण झड़ने लगते हैं। भीतरी फूल अधिक प्रभावित हो जाते हैं। इस समय बहुत छोटे आकार के फल बन रहे हैं, बरसात होने से बीमारी फैलेगी और फूलों के गिर जाने से भारी नुकसान होने की संभावना बनेगी।

आम किसानों ने कहा कि होगा अधिक नुकसान

मलिहाबाद के आम किसान बाबूलाल रावत, गोविंद, माधव व माल क्षेत्र के किसान विजय सिंह चौहान एवं दुल्लू सिंह ने बताया कि अभी आम का फल बहुत छोटा है। छोटे फल वर्षा और हवा के साथ टूट कर नीचे गिर गया है। इस प्रकार के मौसम में खर्रा बीमारी का अधिक खतरा है।

डाॅ. सिंह ने कहा कि किसानों को सलाह दी जाती है कि मौसम साफ होने क बिल्कुल भी इंतजार न करें, इस समय आम के बागों में प्रमुख रूप से कार्बेंडाजिम 12ः मैनकोजेब 62ः की 3 ग्राम मात्रा को एक लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। मौसम में नमी बढ़ने से आम का हापर कीट बहुत तेजी से बढ़ता है यह मौसम इसके लिए बहुत ही अनुकूल है, इस कीट के नर - मादा व निम्फ बौर के रस को तेजी सी चूसते हैं। फंगस की बीमारी को भी फैलाने का काम करते हैं इन्हें प्रबंधित करने के लिए इमिडाक्लोप्रिड नामक कीटनाशक की 0. 5 एम एल मात्रा को एक लीटर पानी कि दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि गेहूं, मसूर एवं सरसों की फसलें पककर तैयार हैं दो-तीन दिन मौसम देखने के बाद ही कटाई करें कटी हुई फसलों को ऊंचे स्थानों पर रखकर तिरपाल अथवा पॉलिथीन से ढक दें और ऊंचे स्थानों पर रखें।उड़द मूंग की बुवाई अभी रोक दें, मौसम सही हो जाने पर ही बुवाई करें। गेहूं की पछेती बुवाई जिन किसानों ने की है वे मौसम सही न होने तक सिंचाई बिल्कुल न करें। जिन खेतों में जलभराव की स्थित हो वहां पर पहले से ही जल निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करें।

उन्होंने मीठे फलों प्रमुख रूप से खरबूजा एवं तरबूज में जल निकासी की व्यवस्था सही तरीके से कर लें। इस समय ओलावृष्टि की बहुत अधिक संभावनाएं होती हैं। जब बहुत आवश्यक हो तभी घर से बाहर निकले, पालतू पशुओं को टीनशैड या पक्के बरामदे के नीचे बांधकर रखें।

हिन्दुस्थान समाचार/शैलेंद्र