अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स इयर-2023 : मोटे अनाज की रेसिपी का सूरत वासियों ने जमकर उठाया लुत्फ
-पांच दिवसीय प्राकृतिक खेती की उपज व मिलेट्स की 28 लाख की बिक्री -नागली का ढोकला, खींचू, शीरो, बाजरी
अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स इयर-2023 


अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स इयर-2023 


अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स इयर-2023 


-पांच दिवसीय प्राकृतिक खेती की उपज व मिलेट्स की 28 लाख की बिक्री

-नागली का ढोकला, खींचू, शीरो, बाजरी का रोटला के स्वाद से सभी गदगद

अहमदाबाद/सूरत, 17 मार्च (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स इयर के तहत गुजरात के कृषि विभाग की ओर से 12 से 16 मार्च तक सूरत के मजूरा गेट स्थित दयालजी बाग में आयोजित 5 दिवसीय मिलेट्स व प्राकृतिक खेती में जमकर खरीदी की गई। सूरत वासियों को मिलेट्स का स्वाद खूब भाया। दयालजी बाग में लगाए गए खाने-पीने के स्टॉल पर जहां लोगों की भीड़ उमड़ी, वहीं 5 दिनों में 28 लाख रुपए की खरीदी की गई।

राज्य में 100 फीसदी डांग आर्गेनिक योजना के तहत आयोजित बिक्री मेला में डांग, वलसाड, नवसारी और सूरत जिले के किसान और महिला स्वयं सहायता समूह के सदस्यों ने स्टॉल लगाए। मिलेट्स से बने विभिन्न व्यंजनों का सूरत वासियों ने जमकर लुत्फ उठाया। इसके अलावा प्राकृतिक खेती से पैदा हुए अनाज और विभिन्न सामानों की भी जमकर खरीदी की गई।

पोषक तत्व से भरपूर हैं मिलेट्स: निकेता राज

मेले में आईं निकेता राज ने बताया कि वे वर्षों से सूरत में रहती हैं। सूरत के लोग खानपान के शौकीन हैं। ऐसे में जब प्राकृतिक खेती से पैदा हुए उपज से बने व्यंजनों का मोह कैसे छोड़ सकते हैं। वे पहले से प्राकृतिक खेती के फायदों के बारे में जानती हैं। उन्होंने नागली का खींचू, शीरो, ढोकला, वडा आदि व्यंजनों का स्वाद लिया, जो उन्हें बहुत पसंद आया। प्राकृतिक खेती से उपजाए गए मिलेट्स (मोटा अनाज) में भरपूर पोषक तत्व होता है। यह स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है।

दर्शन पटेल का कहना है कि कृषि विभाग के मिलेट्स मेला जैसे आयोजनों से किसानों को बड़ा प्लेटफार्म मिलता है। मिलेट्स में ज्वार, बाजरा, रागी समेत छोटे मिलेट्स कांगणी, चीनो, कोडो, सनवा, कुटडी का प्रचार-प्रसार के कारण जनता का रुझान बढ़ा है।

ढाई लाख का किया कारोबार: निकुंज ठाकोर

वलसाड के किसान निकुंज ठाकोर को कृषि विभाग का यह आयोजन खूब फला। उन्होंने 5 दिन के आयोजन में 2.5 लाख रुपए का कृषि उत्पादों की बिक्री की। राज्यपाल आचार्य देवव्रत से आत्मा अवार्ड से सम्मानित निकुंजभाई ने कहा कि वर्ष 2007 से वे प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। वे कृषि उत्पादों का वैल्यू एडिशन कर उससे अधिक कीमत प्राप्त करते हैं। इसमें वे आम से उसका रस, गन्ने से गुड़, हल्दी का पाउडर बनाकर बेचते हैं। इसके अलावा मेडीशनल प्लांट का भी वे पाउडर बनाकर बेचते हैं। इसमें डायबिटिज, एसिडिटी आदि रोगों का इलाज शामिल है। उन्होंने बताया कि सरकार के प्रयासों से किसानों को काफी सहायता मिल है, जिससे वे प्राकृतिक खेती की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ बिनोद पांडेय