बेगूसराय, 03 फरवरी (हि.स.)। बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि जब-जब राजनीतिक अस्थिरता आई है, प्रशासनिक अराजकता और भ्रष्टाचार बढ़ा है, जिसके कारण एक बार फिर बिहार में घोर त्राहिमाम की स्थिति है। लोगों को विकास चाहिए, बदलाव चाहिए, सामाजिक सद्भाव और समाज में शांति चाहिए, लेकिन बिहार की सरकार कभी जातीय उन्माद तो कभी धार्मिक उन्माद फैलाकर बिहार को बर्बाद कर रही है।
शुक्रवार को बेगूसराय सर्किट हाउस में आयोजित प्रेसवार्ता में विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में प्रति व्यक्ति आय दोगुना हो गया है। लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर बजट के संबंध में लोगों में भ्रम पैदा कर रहे हैं। यह बजट आम जनता का है, भ्रष्टाचार को कम करने वाला है, जिसके कारण लूट की छूट चाहने वालों की परेशानी बढ़ गई है।
निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत यह बजट गरीबों के लिए, मध्यमवर्गीय, युवाओं और महिलाओं के लिए है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मनरेगा में बजट कम करने की बात कही है। मनरेगा को आधार से जोड़ा गया है तो संख्या आधी हो गई। 32 साल तक बिहार में राज करने वाले बड़े-छोटे भाई की सरकार में करप्शन था। अब काम मांगने वालों की संख्या कम होने से बजट कम किया गया है। किसान सम्मान निधि को आधार से जोड़ने पर संख्या कम हो गई है। कृषि के लिए विद्युतीकरण पूरा हो जाने से बजट कम हो गया। सरकार और भ्रष्ट पदाधिकारियों के लूट पर अंकुश लगने से कुछ लोग परेशान हैं।
तेजस्वी यादव द्वारा आरएसएस एवं भाजपा पर हिंदुओं को बांटने संबंधी बयान पर विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि तेजस्वी यादव जिस गोद से पल कर आए हैं, जिस तरह की रोटी खाए हैं, उनका विचार और भावना उसी तरह का बनेगा। वह जंगलराज के पुरोधा और जंगलराज स्थापित करने वालों की जमात में शामिल हैं, इसलिए जातीय उन्माद पैदा करते रहते हैं। सनातन सत्य है, सत्य सनातन में हर व्यक्ति चार वर्ण से गुजरता है। हमारा सिर ब्राह्मण, छाती क्षत्रिय, उदर वैश्य और पैर शुद्र है। वर्ण जन्म नहीं, कर्म से होता है।
सत्ता में परिवारवाद की जमींदारी चलाने वाले सत्ता को छोड़कर बाहर रहने वाले को अवसर दें, हिम्मत है तो दलित और अति पिछड़ा को सत्ता में लाएं। उनका एकमात्र उद्देश्य जातीय उन्माद पैदा करना है, 90 के दशक में बिहार को पहुंचाना है। बिहार की विधि व्यवस्था बदहाल है, सरकार बदलने के बाद सिर्फ बेगूसराय में 50 हत्या हो चुकी है। लेकिन किसी भी मामले में मुख्य अभियुक्त नहीं पकड़ता है। अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, बालू और दारु को छोड़कर कोई मतलब नहीं है। कल मुखिया वीरेन्द्र शर्मा की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। दो थाना की सीमा पर प्लानिंग के तहत हत्या किया गया, लेकिन पुलिस लापरवाह बनी रही।
पुलिस पदाधिकारी की सहभागिता से अपराध बढ़ा रहा है। सरकार को अपनी जिम्मेवारी का निर्वहन करना चाहिए। बेगूसराय में हुई गोलीबारी में भी जातीय उन्माद फैलाने की कोशिश की गई, लेकिन आरा और वैशाली सहित अन्य जगहों पर ऐसी घटना होते ही इन लोगों की भाषा बदल गई। जातीय उन्माद पैदा करने वालों को बिहार की जनता समझ रही है। अल्पसंख्यक के नाम पर उनका मनोबल बढ़ाया जा रहा है। मुखिया वीरेन्द्र शर्मा की हत्या में अल्पसंख्यक समाज के पूर्व मुखिया की संलिप्तता है। मुखिया ने हर पदाधिकारी से सुरक्षा मांगा, लेकिन नहीं मिला, ऐसे पदाधिकारियों पर भी कार्रवाई हो। अब तक मारे गए सभी लोगों के परिजन को सरकार मुआवजा दे, प्राथमिकता के आधार पर रोजगार दे। वह जिसे जंगलराज नहीं जनता राज बता रहे हैं, वह गुंडाराज है। हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र