मंदसौर, 2 फरवरी (हि.स.)। खेतों में खड़ी अफीम की फसल में अब फूलों के बाद डोडे भी आने लगे हैं। अफीम फसल में फूल व डोडे आते ही किसानों की चिंता बढ़ गई है। जानकारों के अनुसार विगत दिनों गिरे मावठे से भी अफीम की फसल को लाभ होगा। खेतों में फसल को किसी तरह से कोई नुकसान न हो इसके लिए किसान बेहद सतर्क हैं। अफीम खेतों की रखवाली के लिए कड़ाके की ठंड में भी अधिकांश किसान रात खेतों पर ही बिता रहे हैं। लगभग सभी किसानों ने अफीम के आसपास जाली एवं तिरपाल-साड़ियां भी बांध रखी है, ताकि रोजड़े एवं अन्य पशु नुकसान न कर सके।
पूर्व के वर्षो में जिले में कुछ खेतों से अफीम फसलों से डोडे चोरी होने की घटनाएं भी हुई हैं। इसी को देखते हुए किसान अपने खेतों की सुरक्षा में मुस्तैद हैं, चूंकि अब अफीम फसल पर डोडे भी आने लगे है जिससे किसानों की जिम्मेदारी भी बढ गई है। मंदसौर जिले में इस साल नियमित एवं सीपीएस के पट्टे मिलाकर करीब 17 हजार किसान अफीम की खेती कर रहे हैं।
अब शुरू होगा लुनाई-चिराई का काम
काला सोना कहीं जाने वाली अफीम की फसल इसी माह तैयार हो जाएगी। किसानों के अनुसान फसल में फूल के साथ डोड़े भी आ रहे हैं। किसानों के अनुसार अब पांच से 15 फरवरी के बीच जिले में अफीम फसल में लुनाई-चिराई का कार्य प्रारंभ हो जाएगा। किसानों के अनुसार सबसे ज्यादा लागत अफीम की फसल में ही होती है। दस आरी के पट्टे में खाद, बीज, दवाई सहित अन्य खर्च मिलाकर करीब 30 हजार से ज्यादा का खर्च होता है। किसानों ने बताया कि फसल करीब ढाई माह की हो चुकी है। अब तक सात से आठ बार सिंचाई की गई है। वहीं सीपीएस पद्धति वाले किसानों को चीरा लगाने की अनुमति नहीं होगी ये सीधे डोडे विभाग को देगे।
हिन्दुस्थान समाचार/अशोक झलौया