किसान की अनूठी पहल, मशरूम की खेती बनी आय का जरिया
दतिया, 1 फरवरी (हि.स.)। दतिया जिले के किसान परम्परागत खेती के साथ अब कम लागत में अधिक उत्पादन एवं ब
किसान की अनूठी पहल, मशरूम की खेती बनी आय का जरिया


दतिया, 1 फरवरी (हि.स.)। दतिया जिले के किसान परम्परागत खेती के साथ अब कम लागत में अधिक उत्पादन एवं बेहतर दाम देने वाली नगदी फसलें रहे हैं।

ऐसा ही कर दिखाया है दतिया विकासखण्ड़ के ग्राम विजयपुरकलां के कृषक कल्याण सिंह कुशवाहा ने, जिन्होंने आत्मा परियोजना के तहत तकनीकी सहयोग से आज मशरूम की खेती कर रहे हैं। इससे उन्हें अच्छी खासी आमदनी भी हो रही है। मशरूम की खेती इनके लाभ का धंधा बनी है। उन्होंने आत्मा परियोजना के तहत् सात दिवस का ऑनलाईन प्रशिक्षण मशरूम उत्पादन एवं मार्केटिंग का उन्हें प्रदाय किया गया। प्रशिक्षण उपरांत कल्याण सिंह फार्मर प्रड्यूसर कंपनी (एफपीओ) गोहद की चैयरपर्सन बाली सिंह ने उन्हें ”बटन मशरूम” के स्पान सहित 90 पैकिट निःशुल्क प्रदाय किये।

कल्याण सिंह इन पैकेटों के रखने हेतु अपने घर में बांस बल्ली से रैक भी तैयार की। जिस पर लगभग 5 हजार रुपये का खर्चा आया। कुशवाह ने बताया कि नवम्बर माह में प्रशिक्षण उपरांत उन्होंने मशरूम की खेती शुरू कर दी। दो माह के अंदर ही 75 किलो बटन मशरूम का उत्पादन ले चुके है। इस मशरूम का 150 रूपये से लेकर 200 रुपये प्रति किलो के नाम से 200-200 ग्राम के पैकिट बनाकर टेकनपुर ग्वालियर की सब्जी मंडी में विक्रय कर रह है। मशरूम के विक्रय से उन्हें अच्छी खासी आमदनी हो रही है।

ग्राम विजयपुरकलां कृषक कल्याण सिंह कुशवाहा का कहना है कि टेकनपुर की सब्जी मंडी में मशरूम की बहुत मांग है। इसका उपयोग लोग अचार, सब्जी एवं सूप के रूप में करते है। बटन मशरूम प्रोटीन एवं पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण यह कोलोस्ट्राल फ्री होता है।

आत्मा परियोजना के संचालक जीएस गोरख ने कहा कि आत्मा योजना के तहत् जिले में किसानों ने बटन मशरूम की खेती को किसानों ने नवाचार के रूप में लिया है। जिसके तहत् जिले के तीन ग्रामों में अलग-अलग समूहों में 30 किसान बटन मशरूम की खेती कर रहे हे। जिसमें विजयपुरकला (दतिया), बड़ेरासोपान (भाण्ड़ेर), कटीली (सेवढ़ा) शामिल है।

हिन्दुस्थान समाचाचार/राजू