-पूरे चुनाव की सीसीटीवी कैमरे से की जाएगी निगरानी
- पोस्टर, बैनर पर रोक के साथ पार्टियों पर भी रहेगी रोक
- वर्तमान कार्यकारिणी के पदाधिकारियों के पद पर बने रहने पर लगाई रोक
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को चुनाव में सहयोग करने का दिया निर्देश
प्रयागराज, 20 नवम्बर (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद जिला अधिवक्ता संघ का चुनाव 29 नवम्बर को कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने चुनाव कराने वाली पुरानी कमेटी को भंग कर दिया है और कहा है कि यह चुनाव इलाहाबाद हाईकोर्ट के तीन वरिष्ठ अधिवक्ताओं की निगरानी में आठ सदस्यीय एल्डर कमेटी कराएगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने अमित कुमार निगम व अन्य की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि पूरे चुनाव की सीसीटीवी कैमरे से रिकॉर्डिंग कराई जाएगी। कोर्ट ने निवर्तमान एल्डर्स कमेटी के अधिवक्ता विक्रांत पांडेय से भी कहा है कि चुनाव के संचालन के लिए आवश्यक धनराशि मुहैया कराई जाए और नवगठित एल्डर्स कमेटी को पूरा सहयोग दिया जाएगा। कोर्ट ने निवर्तमान पदाधिकारियों को चुनावी प्रक्रिया से दूर रहने और उन्हें पद पर बने रहने से रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि एल्डर कमेटी मंगलवार से अपना काम शुरू कर दे। पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया गया है कि वह चुनाव में सहयोग करने को कहा है, जिससे कि चुनाव प्रक्रिया में कोई बाधा न आए।
इसके पहले सुनवाई शुरू होते ही वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी, विभुराय, जिला अधिवक्ता संघ की ओर से आरके ओझा, एल्डर कमेटी की ओर से विक्रांत पांडेय, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सिंह, बार कौंसिल की ओर से अमरेंद्र सिंह द्वारा पक्ष रखा गया। कोर्ट ने पुरानी एल्डर कमेटी को भंग करते हुए आठ सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया। कमेटी में नरेंद्र देव पांडेय, राधा रमण मिश्र, हरि सागर मिश्र, दिनेश श्रीवास्तव, राजेंद्र श्रीवास्तव, राघव सिंह, सीता राम सिंह, प्रमोद सिंह, नीरज को शामिल किया गया है। इसके बाद कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व अध्यक्ष राधाकांत ओझा और पूर्व अध्यक्ष अमरेंद्र सिंह और अधिवक्ता भरत प्रताप सिंह की संयुक्त निगरानी कमेटी बनाते हुए उन्हें पूरे चुनाव की निगरानी करने को कहा है। इसके साथ ही कोर्ट ने प्रत्याशियों को निर्देश दिया है कि वह बैनर, पोस्टर या दीवार लेखन या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी प्रकार के प्रलोभन जैसे कि रात्रिभोज, गेट-टुगेदर पार्टियों पर रोक लगाई जाती है। अगर वे ऐसा करते हैं तो यह कदाचार की श्रेणी में माना जाएगी और उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/पदुम नारायण