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गुवाहाटी, 28 जनवरी (हि.स.)। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने शनिवार को पथरुघाट के शहीद किसानों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि अंग्रेजों के अन्याय के खिलाफ बहादुरी से लड़कर देशभक्ति की अद्भुत मिसाल पेश करने वाले वीर किसानों की पावन भूमि है पथरुघाट। आज ही के दिन दरंग जिला के पथरुघाट में अंग्रेजों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए अपनी जान की कुर्बानी देने वाले किसान शहीदों को श्रद्धांजलि। पथरुघाट की इस लड़ाकू चेतना का इतिहास हर असमिया को सदियों तक आलोकित करेगा।
उल्लेखनीय है कि पथरुघाट 1894 की घटना के लिए प्रसिद्ध है, जिसे पथरुघाट का रण (पथरुघाट की लड़ाई) के रूप में जाना जाता है, जो कि किसान विद्रोह के दौरान शोषक औपनिवेशिक ब्रिटिश राज के खिलाफ था। 1826 में असम के ब्रिटिश विलय के बाद, राज्य की विशाल भूमि का सर्वेक्षण शुरू हुआ। इस तरह के सर्वेक्षणों के आधार पर, अंग्रेजों ने कथित तौर पर 70-80 प्रतिशत तक भूमि पर कर लगाना शुरू कर दिया था।
ब्रिटिश अधिकारियों ने किसानों के विरोध और सभाओं को राजद्रोह के आधार के रूप में देखना शुरू किया। 28 जनवरी 1894 को गुस्सा भड़क गया, क्योंकि अंग्रेज अधिकारियों ने किसानों की शिकायतों को सुनने से इनकार कर दिया। इस दौरान पुलिस लाठीचार्ज के बाद खुली गोलीबारी हुई, जिसमें आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार 15 किसान मारे गए, और 37 घायल हो गए, वहीं अनौपचारिक स्रोतों के अनुसार 140 किसान मारे गए। पथरुघाट को असम के जलियांवाला बाग के नाम से जाना जाता है। वर्ष 2000 से, सेना हर साल 29 जनवरी को शहीदों को श्रद्धांजलि देती है, जिसे कृषक शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। सेना ने शहीदों की याद में शहीद स्तंभ भी बनाया है।
हिन्दुस्थान समाचार / अरविंद