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--हाईकोर्ट ने दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की मांग वाली अर्जी की खारिज
प्रयागराज, 24 जनवरी (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सिविल लाइंस थाने में 13 करोड़ रुपये के गबन मामले में छह वर्ष पूर्व दर्ज प्राथमिकी में डीआईबी के तथाकथित सचिव विनोद बी लाल और बिशप जॉनसन स्कूल के प्रधानाचार्य विशाल नोबल सिंह को राहत देने से इंकार कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि याचियों के खिलाफ जिला विद्यालय निरीक्षक एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रयागराज की जांच रिपोर्ट से आरोप प्रमाणित हो रहा है। लिहाजा, याचियों की ओर से प्रस्तुत की गई अर्जी का खारिज किया जाता है। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने विशाल सिंह नोबल और विनोद बिहारी लाल की अर्जी को खारिज करते हुए दिया।
दोनों याचियों की ओर से अलग-अलग अर्जी दाखिल कर प्राथमिकी रद्द करने की मांग की गई। मामला एक ही प्राथमिकी से जुड़ा था। लिहाजा, कोर्ट ने दोनों ही मामलों की सुनवाई एक साथ की।
मामले में वादी मुकदमा दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने 9 अगस्त 2017 को थाना सिविल लाइन्स प्रयागराज में एक प्रथम सूचना रिपोर्ट इस आशय की दर्ज करायी कि बिशप जानसन स्कूल एवं कॉलेज, महात्मा गांधी मार्ग, सिविल लाइन्स, आईसीएससी से मान्यता प्राप्त अंग्रेजी माध्यम का इंटरमीडिएट कॉलेज है जो डायोसेसिएन एजूकेशन बोर्ड दि डायोसिस ऑफ लखनऊ नामक सोसायटी से संचालित है। डायोसिस ऑफ लखनऊ चर्च ऑफ नार्थ इंडिया के अधीन कार्य करती है। चर्च ऑफ नार्थ इंडिया के सचिव, एल्वान मसीह, बिशप पीटर बल्देव, डीआईबी के तथाकथित सचिव विनोद बी लाल, डायोसिस के सचिव राजेश जोजफ, शशि प्रकाश एवं डेविड दत्ता तथा अन्य डीआईबी के पदाधिकारियों के साथ मिलीभगत करके विद्यालय के प्रधानाचार्य विशाल सिंह एवं अन्य ने साजिश करके कूटरचित प्रपत्रों एवं दस्तावेजों को तैयार करके बिशप जानसन कालेज सिविल लाइन्स के मान्यता पर ही बिशप जानसन गर्ल्स विंग कटरा का विद्यालय फर्जी तरीके से संचालित करके एवं अवैध तरीके से योजना लाल को गर्ल्स विंग का प्रधानाचार्य बनाकर हजारों छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हुए उनकी फीस के रुपयों को निकालकर आपस में बांट कर गबन कर रहे हैं।
उपरोक्त लोगों ने छात्रों के फीस (पब्लिक मनी) से अब तक लगभग 13 करोड रुपये का गबन कर लिया है। यह भी तथ्य सामने आया कि आईसीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त कोई भी विद्यालय अपनी शाखा नहीं खोल सकता है। जबकि बिशप जानसन गर्ल्स विंग मान्यता प्राप्त विद्यालय नहीं है। प्रथम सूचना रिपोर्ट के आधार पर दोनों के खिलाफ धारा 406, 419, 420, 467, 468, 471 एवं 120बी आईपीसी के अंतर्गत थाने पर मुकदमा पंजीकृत किया गया।
याचियों की ओर से कहा गया कि वे निर्दोष हैं। सियासी रंजिशवश उन्हें प्रकरण में झूंठा फंसाया गया है, जिससे कि उनकी छवि धूमिल हो सके। संस्थान द्वारा न तो धोखाधडी की गयी और न ही कोई गबन किया गया है। जबकि, सरकारी अधिवक्ता ने इसका विरोध किया। कहा कि जिला विद्यालय निरीक्षक ने अपनी जांच रिपोर्ट में आरोप सही पाया है। कोर्ट ने मामले में सुप्रीम कोर्ट के कई केसों का हवाला देते हुए दोनों की अर्जी को खारिज कर दिया। इसके साथ ही मामले में पहले से पारित स्थगन आदेश को भी निरस्त कर दिया।
हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन