भोपाल, 24 जनवरी (हि.स.)। मध्यभारत लैंडस्केप में बाघ संरक्षण के क्षेत्र में बाघों की संख्या दुगुनी करने एवं उत्कृष्ट प्रबंधन का कार्य करने वाले तीन टाइगर रिजर्व मध्यप्रदेश में पेंच टाइगर रिजर्व और महाराष्ट्र में पेंच टाइगर रिजर्व और सतपुडा टाइगर रिजर्व को अविश्वसनीय सफलता मिली है। इन तीनों को प्रतिष्ठित टीएक्स2 पुरस्कार मिला है।
पेंच प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार मध्यभारत के तीनों टाइगर रिजर्व में कुछ सबसे बड़े सन्निहित जंगल हैं, जो वन्यजीव गलियारों के एक नेटवर्क से जुड़े हैं। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के पेंच टाइगर रिजर्व आपस में लगे हुए हैं और सतपुडा टाइगर रिजर्व कॉरिडोर के माध्यम से इनसे जुडा है। इसलिए वन्यप्राणी इन तीनों टाइगर रिजर्व में आसानी से विचरण करते हैं। यहां बाघों का लगातार मूवमेंट होता रहता है। बाघ एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं, जिससे उनमें आनुवांशिक विविधता भी बनी रहती है। वहीं बाघों के संरक्षण में तीनों टाइगर रिजर्वों ने अभूतपूर्व कार्य किया है। जिससे बाघों की संख्या बढी है। मध्यप्रदेश आज टाइगर स्टेट बना है, उसमें पेंच सतपुडा रिजर्व की महत्वपूर्ण भूमिका है।
महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व ने बाघों की आबादी को दोगुना करने में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। पेंच महाराष्ट्र ने अपनी बाघों की आबादी 9 व्यक्तियों (2008-09) से बढ़ाकर 44 (2021) कर दी, जबकि पेंच एमपी ने अपनी बाघों की आबादी 33 (2006) से बढ़ाकर 87 (2018) कर दी है। वहीं सतपुड़ा टाइगर रिजर्व ने पिछले 12 वर्षों में बाघों की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जो 2010 में 13 से 2021 में 48 हो गई थी। सतपुडा रिजर्व ढलानों में है वहीं शुष्क पर्णपाती वन है इसलिए यहां शाकाहारी वन्यप्राणी चीतल, साभर सहित अन्य वन्यप्राणी बहुतायत में है जिससे बाघों को आसानी से भोजन प्राप्त हो जाता है। वहीं सतपुडा में संरक्षण का कार्य बहुत अच्छा हो रहा है। शिकारों में कमी है जिससे बाघों की संख्या में वृद्धि हो रही है। वहीं वन एवं वन्यप्राणी संरक्षण के लिए वन क्षेत्रों से लगे ग्रामों में अपना समर्पण किया और वनों को बचाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
प्रभावी प्रबंधन मूल्याकंन सर्वेक्षण में मध्यभारत का नंबर 01 टाइगर रिजर्व पेंच है जो दो बार से नंबर एक बना हुआ है। पेंच प्रबंधन को देश में उत्कृष्ट माना गया है। फ्रंटलाइन स्टाफ को उत्कृष्ट और ऊर्जावान पाया गया है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी धर्मपत्नी साधना सिंह 13 नवंबर 2022 को अल्प प्रवास के दौरान विश्वविख्यात पेंच नेशनल पार्क आये थे जहां उन्होनें कर्माझिरी कोर क्षेत्र में पेंच सफारी की थी सफारी के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विजिटर बुक में प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी पेंच राष्ट्रीय उद्यान के बारे में लिखा कि पेंच के वैज्ञानिक एवं अत्यंत उत्तम प्रबंधन के कारण यह पार्काें में सर्वश्रेष्ठ है।
पेंच प्रबंधन के अनुसार तत्कालीन क्षेत्र संचालक एवं मुख्य वनसंरक्षक पेंच टाइगर रिजर्व के मार्गदर्शन और प्रयासों से साथ ही साथ मातहत अधिकारी एवं कर्मचारियों के परिश्रम के स्वरूप पेंच नेशनल पार्क को यह उपलब्घि हासिल हुई है।
डब्ल्यूडब्ल्यू एफ का मानना है कि पेंच टाइगर रिजर्व (एमएच और एमपी) और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की सफलता की कहानियों को केंद्र और राज्य सरकारों के समर्पण, संरक्षण भागीदारों और स्थानीय समुदायों के महत्वपूर्ण समर्थन का श्रेय दिया जाता है। हमें उम्मीद है कि उनकी सफलता अन्य संरक्षित क्षेत्रों को पूरे एशिया में बाघों की रिकवरी के लिए आवश्यक लाभ हासिल करने के लिए प्रेरित कर सकती है।
हिन्दुस्थान समाचार/रवि सनोडिया