-भारत रत्न लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई की 72वीं पुण्यतिथि पर मनाया गया लोक कल्याण दिवस
गुवाहाटी, 05 अगस्त (हि.स.)। भारत रत्न गोपीनाथ बोरदलोई की 72वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में लोक कल्याण दिवस के अवसर पर, मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को दिसपुर में आयोजित लोक कल्याण दिवस के एक केंद्रीय समारोह में राज्य स्तर पर 10 अराजपत्रित राज्य सरकार के कर्मचारियों को लोक सेवा पुरस्कार प्रदान किया।
उल्लेखनीय है कि कुल मिलाकर 99 राज्य सरकार के कर्मचारियों को राज्य स्तर पर 10 और जिला स्तर पर 89 कर्मचारियों को उनकी सराहनीय सेवाओं के लिए लोक सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार के के रूप में प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक प्रशस्ति पत्र, 25 हजार रुपये दिया गया और उनकी कुल सेवा का एक वर्ष का विस्तार दिया गया। लोक सेवा पुरस्कार से सम्मानित व्यक्ति को 61 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त किया जाएगा।
इस अवसर पर बोलते हुए, मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने भारत रत्न लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदलोई को उनकी 72वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि यह दिन असम के पहले मुख्यमंत्री और उनके अद्वितीय सम्मान के प्रतीक के रूप में लोक कल्याण दिवस के रूप में मनाया गया है। डॉ. सरमा ने उन्हें आधुनिक असम का वास्तुकार बताते हुए, जिन्होंने राज्य के मानव संसाधन बनाने के लिए कॉलेजों, विश्वविद्यालय और अन्य संस्थानों की स्थापना में एक महान भूमिका निभाई। डॉ सरमा ने कहा, “असम लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदलोई का बहुत ऋणी है। यह उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के कारण असम को पूर्वी पाकिस्तान अब बांग्लादेश का हिस्सा बनने से बचा लिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक राजनीतिक नेता के रूप में गोपीनाथ बोरदलोई की सफलता इस तथ्य पर आधारित है कि उन्होंने कैबिनेट मिशन योजना के प्रस्तावों को विफल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कोई भी असमिया कैबिनेट मिशन योजना के बुरे डिजाइन को विफल करने में गोपीनाथ बोरदलोई की भूमिका को नहीं भूल सकता, जिसने असम के अस्तित्व पर एक बड़ा खतरा पैदा कर दिया था। कैबिनेट मिशन योजना सफल होती तो आज असम का भूगोल और इतिहास कुछ और होता।
महात्मा गांधी के अलावा, मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी और शरतचंद्र बसु के प्रति भी आभार व्यक्त किया, जिन्होंने असम को भारत के अभिन्न अंग के रूप में बने रहने में मदद की। मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी और देश के विभाजन के बाद भी गोपीनाथ बोरदलोई ने असम के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अपनी लड़ाई जारी रखी। नागा हिल्स, मिजो हिल्स जिला, खसिया-जयंतिया हिल्स, गारो हिल्स और मिकिर हिल्स के प्रशासन को संविधान की छठी अनुसूची में लाना और मैदानी इलाकों में रहने वाले आदिवासियों को 'मैदानी जनजाति' का दर्जा देने में गोपीनाथ बोरदलोई ने निर्णायक भूमिका निभाई। असम के लोगों के मन पर उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी है।
उन्होंने कहा कि लोक कल्याण दिवस के समारोह के साथ असम ने आज मिशन सद्भावना के पहले चरण की परिणति को चिह्नित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि मिशन के तहत, असम सरकार अब तक प्राप्त सभी याचिकाओं का निपटान करने में सक्षम है, जिससे सरकार को असम सचिवालय में अब तक खोली गई 3.24 लाख फाइलों में से 2.75 लाख फाइलों का निपटान किया गया है। फाइलों को वर्गीकृत किया जाएगा और कुछ फाइलों को रखा जाएगा, कुछ को अभिलेखागार में भेजा जाएगा और अन्य को श्रेडिंग मशीन में डालकर स्थायी रूप से निपटाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर जनता भवन में फाइलों के टुकड़े-टुकड़े करने की प्रक्रिया का भी शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर यह घोषणा किया कि आने वाले 2 अक्टूबर से असम सचिवालय पूरी तरह से डिजिटल या ई-ऑफिस हो जाएगा, इसके तहत राज्य के किसी भी हिस्से से या बाहर के लोग जनता भवन में आए बिना अपने काम के लिए याचिका दायर कर सकते हैं जिसे प्रशासन याचिकाकर्ता के बिना निपटाएगा। वर्तमान में शारीरिक रूप से जनता भवन आना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जनता भवन के प्रत्येक प्रखंड में एक नोडल अधिकारी होगा जो कि प्रखंडों की साफ-सफाई और स्वच्छता बनाए रखने के लिए विशेष रूप से जिम्मेदार होगा। साथ ही कर्मचारियों के लिए नि:शुल्क बस सेवा का प्रावधान करने के अलावा जनता भवन में क्रेच भी खोला जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने जनता भवन परिसर में एक अस्थायी रिकॉर्ड रूम और एक सीसीटीवी निगरानी सुविधा का भी शुभारंभ किया।
जीएडी मंत्री रंजीत कुमार दास, मुख्य सचिव जिष्णु बरुवा, अपर मुख्य सचिव परिवर्तन एवं विकास विभाग पबन बोरठाकुर, प्रमुख सचिव जीएडी अविनाश जोशी, प्रमुख सचिव प्रशासनिक सुधार एवं प्रशिक्षण अर्चना वर्मा, गोपीनाथ बोरदलोई के पुत्र बोलिन बोरदलोई और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार/ अरविंद