जयपुर, 28 जून (हि.स.)। राज्य सरकार ने प्री प्राइमरी कक्षाओं में आरटीई से प्रवेश देने के राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने 23 मई को मौजूदा शिक्षा सत्र में अल्प आय वर्ग के बच्चों को प्री-प्राइमरी कक्षाओं में निशुल्क शिक्षा के लिए शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत प्रवेश की व्यवस्था जारी रखने का आदेश दिया था। कोर्ट ने पिछले सत्र में आदेश की पालना में खामियों को लेकर नाराजगी जाहिर की थी। वहीं मामले पर मंगलवार को हाईकोर्ट ने जनहित याचिकाकर्ताओं को तीन दिन में आदेश की पालना नहीं करने के संबंध में विस्तृत जानकारी के साथ शपथ पत्र पेश करने का आदेश दिया है।
न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और न्यायाधीश शुभा मेहता की खंडपीठ में स्माइल फॉर आल सोसायटी और अभ्यूथानम सोसायटी की जनहित याचिकाओं सुनवाई हुई। स्माइल फॉर आल सोसाइटी की ओर से अधिवक्ता विकास जाखड़ ने कहा कि प्रथम कक्षा से प्रवेश दिए जाने से गरीब व वंचित वर्ग के बच्चे निजी स्कूल में पहले से अध्ययनरत बच्चों से पिछड जाते हैं। ऐसे में प्रवेश प्री-प्राइमरी कक्षाओं से ही दिलाया जाए। आरटीई कानून के तहत प्री प्राइमरी कक्षाओं में प्रवेश दिया जाता रहा है। लेकिन राज्य सरकार ने नियमों की मनमानी व्याख्या करते हुए 2019-20 सत्र से आरटीई के तहत प्रथम कक्षा से प्रवेश देने का फैसला किया। इससे गरीब बच्चों का प्रवेश बाधित हुआ है, जो कानून की मूल भावना के खिलाफ है। कोर्ट ने 23 अक्टूबर 2021 को बच्चों को प्री- प्राइमरी कक्षाओं में प्रवेश का अंतरिम आदेश दिया, लेकिन इसकी पालना नहीं की गई। इसके बाद 23 मई 2022 को भी इस संबंध में आदेश दिया लेकिन इसके बाद भी राज्य सरकार प्रवेश देने को तैयार नहीं है। इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को राज्य सरकार के आदेश नहीं मानने के संबंध में विस्तृत शपथ पत्र तीन दिन में पेश करने के आदेश दिए।
हिन्दुस्थान समाचार/ पारीक/ ईश्वर