जम्मू, 24 नवंबर (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर सरकार इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के सहयोग से श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय कटरा में 26-27 नवंबर 2022 को 25वें राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सम्मेलन का आयोजन करने जा रही है। दो दिवसीय इस सम्मेलन में 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 1000 प्रतिनिधि और केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के अधिकारी भाग लेंगे। 27 नवंबर को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी सम्मेलन में शामिल होंगे। आईटी विभाग जेएंडके यूटी और हरियाणा का सूचना प्रौद्योगिकी विभाग भी आईटी क्षेत्र में ज्ञान साझा करने, विचार विनिमय, क्षमता निर्माण के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेगा।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सम्मेलन जम्मू और कश्मीर के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है और माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाता है।
उपराज्यपाल ने कहा “दो साल की छोटी अवधि में, हमने ई-ऑफिस के माध्यम से उपयोगकर्ता-केंद्रित सेवा वितरण प्रणाली और पेपरलेस प्रशासनिक कार्यों को बनाने के लिए एक बड़ी छलांग लगाई है। प्रौद्योगिकी ने नियमों और प्रक्रियाओं को फिर से डिजाइन किया है, जिससे सिस्टम में जवाबदेही और पारदर्शिता आई है और हमें अधिक प्रभावी और कुशलता से सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाया गया है।
उपराज्यपाल ने कहा कि त्वरित डिजिटल परिवर्तन और उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाने से प्रशासन को पारदर्शी और नए वितरण मॉडल विकसित करने में मदद मिली है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोग आसानी से ई-सेवाओं का उपयोग कर सकें। उन्होंने कहा, जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश ने अक्टूबर 2022 में 2 करोड़ से अधिक ई-लेनदेन दर्ज किए हैं जो 2021 में इसी अवधि के दौरान 10.5 लाख ई-लेनदेन से काफी अधिक है।
उन्होंने कहा कि हम लोगों और समाज को डिजिटल परिवर्तन का लाभ देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मुझे विश्वास है कि दो दिवसीय राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सम्मेलन नए ई-भागीदारी उपकरणों पर विचार-विमर्श करने और कुशल सेवा वितरण के लिए लोगों के साथ बेहतर सहयोग करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा। पिछले दो वर्षों में नागरिकों तक पहुंचने और जम्मू-कश्मीर सरकार के कामकाज में अधिक दक्षता और पारदर्शिता लाने के लिए कई ई-गवर्नेंस पहल शुरू की गई हैं। सरकार ने हाल ही में एक एकीकृत सेवा वितरण पोर्टल के माध्यम से सभी सरकारी सेवाओं को डिजिटल मोड में प्रदान करने के लिए ‘डिजिटल जम्मू और कश्मीर‘ कार्यक्रम शुरू किया है। समावेशी विकास के लिए आईटी की शक्ति का उपयोग करके शासन को अधिक प्रभावी, कुशल और नागरिक केंद्रित बनाना है। वर्ष 2021 के लिए डीएआरपीजी, भारत सरकार की एनईएसडीए ने ई-गवर्नेंस में केंद्र शासित प्रदेशों में जम्मू और कश्मीर को पहला स्थान दिया है। जम्मू और कश्मीर को राज्य पोर्टल और एनईएसडीए मापदंडों पर उच्चतम अनुपालन के साथ ऑनलाइन सेवाओं में केंद्र शासित प्रदेशों में पहले स्थान पर रखा गया है।
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में सभी सरकारी कार्यालयों में ई-ऑफिस के कार्यान्वयन से सरकार के समग्र कामकाज में अधिक दक्षता आई है।
जम्मू-कश्मीर ई-ऑफिस पर लगभग 330 कार्यालयों और 96 प्रतिशत की फाइल निपटान दर के साथ ई-ऑफिस के उपयोग में केंद्र शासित प्रदेशों में पहले स्थान पर है। अब तक 300 से अधिक कार्यालयों को ई-ऑफिस पर पूरी तरह से चालू कर दिया गया है। ‘दरबार मूव‘ के अभ्यास में जम्मू और श्रीनगर के बीच 300 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर और इसके विपरीत आधिकारिक दस्तावेजों और बुनियादी ढांचे के परिवहन के लिए सैकड़ों ट्रकों की आवाजाही शामिल थी। 149 साल पुरानी इस प्रथा पर लगभग 400 करोड़ रुपये की वार्षिक लागत आई। आरएएस के साथ एकीकृत 227 सेवाओं के साथ सेवाओं के आरएएस एकीकरण में केंद्र शासित प्रदेशों में जम्मू और कश्मीर का रैपिड असेसमेंट सिस्टम पहले स्थान पर है। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की पहली डिजिटल ऑनलाइन लाइब्रेरी लॉन्च की गई है। जम्मू-कश्मीर कर्मचारी प्रदर्शन निगरानी पोर्टल, जम्मू-कश्मीर सरकार के कर्मचारियों और अधिकारियों के मासिक कार्य प्रदर्शन और उनके संबंधित रिपोर्टिंग/नियंत्रक अधिकारियों द्वारा मूल्यांकन को कैप्चर करता है। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर को दूरसंचार विभाग के गति-शक्ति प्लेटफॉर्म पर शामिल किया गया है, जिसके साथ एकीकरण से राइट ऑफ वे आवेदनों की ऑनलाइन प्रोसेसिंग होती
हिन्दुस्थान समाचार/बलवान