जयपुर, 14 जनवरी (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्या कोई व्यक्ति संवैधानिक कोर्ट या ट्रायल कोर्ट के समक्ष अपने नाम से पहले महाराजा, राजा, नवाब या राजकुमार आदि लगा सकता है या नहीं? न्यायाधीश समीर जैन ने यह आदेश भगवती सिंह की याचिका पर दिए।
अदालत ने कहा कि संविधान में 26वां संशोधन कर अनुच्छेद 363 ए जोडा गया है। जिसमें पूर्व राजपरिवार के प्री-विपर्स को समाप्त किया जा चुका है। वहीं संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत सभी लोगों को समानता का अधिकार दिया गया है। ऐसे में अब कोई भी अपने नाम से पहले महाराजा आदि शब्द नहीं लगा सकता है। इसके बावजूद अपील में पक्षकार ने अपने नाम से पहले राजा शब्द लिखा है। ऐसे में केन्द्र और राज्य सरकार बताए कि क्या कोई व्यक्ति अपने नाम से पहले इस तरह की उपाधि किस प्रावधान के तहत लगा सकता है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुरुचि कासलीवाल ने बताया कि बरवाडा हाउस के स्वामित्व से जुडे मामले में निचली अदालत ने एक गवाह की साक्ष्य बंद कर दी थी। ऐसे में हाईकोर्ट में अपील पेश की गई थी। जिसकी सुनवाई के दौरान अदालत के सामने आया कि पक्षकार के नाम से पहले राजा शब्द लिखा हुआ है। ऐसे में अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार से जानकारी मांगी है।
हिन्दुस्थान समाचार/ पारीक/ ईश्वर