जयपुर, 14 सितंबर (हि.स.)। राजस्थान के पांचों राजकीय कृषि विश्वविद्यालयों के अधिनियमों में कुलपति को उन परिस्थितियों में हटाये जाने का कोई प्रावधान नहीं है, जहां पर उक्त अधिनियम के उपबंधों को क्रियान्वयन करने में जानबूझ कर लोप या इंकार करता है या उसमें निहित शक्तियों का दुरूपयोग करता है या जहां कुलाधिपति को यह प्रतीत होता है कि उसका पद पर बना रहना विश्वविद्यालय के हित के लिए हानिकारक है। ऐसी परिस्थितियों में कुलाधिपति को राज्य सरकार के परामर्श से कुलपति हटाये जाने के लिए सशक्त किया जाना प्रस्तावित है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के 13 जून 2013 के नोटिफिकेशन के तहत भी सारे विश्वविद्यालयों के लिए मॉडल एक्ट का प्रावधान है।
राज्य विधानसभा में मंगलवार को स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर (संशोधन) विधेयक, 2020 पर हुई बहस का जवाब देते हुए कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने ये जानकारी दी। बहस के बाद विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया गया। विधेयक पर सदन में हुई चर्चा के दौरान अपने जवाब में कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों में जो संशोधन प्रस्तावित है, ऐसे ही संशोधन राजस्थान विधानसभा के द्वितीय सत्र में एक साथ राजस्थान के 11 अन्य विश्वविद्यालयों एवं एक तकनीकी विश्वविद्यालय के अंदर कुलपति की अर्हताएं क्या होगी, उसको लेकर यह संशोधन पारित किया गया कि कुलपति के रूप में नियुक्त किये जाने के लिए कोई व्यक्ति पात्र नहीं होगा, जब तक वह किसी विश्वविद्यालय या महाविद्यालय में आचार्य के रूप में न्यूनतम 10 वर्ष का अनुभव रखने वाला हो या किसी प्रतिष्ठा शोध और शैक्षणिक, प्रशासनिक संगठन के किसी समकक्ष पद पर अनुभव रखने वाला और सक्षमता, सत्यनिष्ठा और नैतिक आधार तथा संस्थानिक प्रतिबद्वता के उच्च स्तर वाला प्रख्यात शिक्षाविद् नहीं होगा।
उन्होंने बताया कि यह विधेयक अनावश्यक रूप से कुलपति को नहीं हटा रहा। इसके लिए नियमानुसार जांच होगी तथा बाकायदा प्रक्रिया तय होगी और कोई अनियमिता सामने आती है तो ही निलंबित किये जाने का प्रावधान है। कटारिया ने कहा कि सरकार विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता की पूर्ण पक्षधर है, लेकिन निरंकुशता, अनियमिता, पक्षपात ऎसी स्थितियां अगर उत्पन्न हो जाती है, कुलपति द्वारा अपनी शक्तियों का दुरूपयोग किया जाता है। कुलपति विश्वविद्यालय के नियमों के तहत एक्ट नहीं करें, तब जाकर कुलपति को हटाने की बात आती है। यह प्रावधान राजस्थान के अन्य लगभग 13 विश्वविद्यालयों में वर्ष 2019 में सम्मिलित किये जा चुके हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप