रायपुर, 14 सितंबर (हि.स.)। कृषि विभाग ने खरीफ फसलों की देखभाल एवं बेहतर उत्पादन के लिए किसानों भाइयों को सम सामयिक सलाह दी है। धान की फसल में जहां कन्से निकलने की अवस्था आ गई हो वहां नत्रजन की दूसरी मात्रा का छिड़काव करने की सलाह किसानों दी गई है। इससे धान के कन्से की स्थिति में सुधार आएगा। फसल में कीट या खरपतवार होने की स्थिति में दोनों को नियंत्रित करने के बाद ही प्रति हेक्टेयर 40 किलो यूरिया के छिड़काव सलाह दी गई है।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने धान फसल के प्रारंभिक गभोट अवस्था में मध्यम एवं देर अवधि वाले धान फसल के 60-75 दिन के होने पर नत्रजन की तीसरी मात्रा का छिड़काव करने को कहा है। तना छेदक की तितली एक मोथ प्रति वर्ग मीटर में होने पर फिपरोनिल पांच एससी एक लीटर प्रति दर से छिड़काव करने की सलाह कृषकों को दी गई है। पत्ती मोडक (चितरी) रोग के नियंत्रण के लिए प्रति पौधा एक-दो पत्ती दिखाई देने पर फिपरोनिल पांच एससी 800 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने को कहा गया है। धान में निचली पत्ती पर हल्के बैगनी रंग के धब्बे पड़ते हैं जो धीरे-धीरे बढ़कर चौड़े और किनारों में सकरे हो जाते हैं, इन धब्बों के बीच का रंग हल्का भूरा होता है। इसके नियंत्रण के लिए टेबूकोनाजोल 750 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर पांच सौ लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह किसानों को दी गई है।
इसी तरह कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को मक्का फसल नरमंजरी पुष्प की अवस्था में नत्रजन की तीसरी मात्रा 35-40 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने तथा सोयाबीन में पत्ती खाने वाले एवं गर्डल बीटल कीट दिखने पर प्राफेनोफास 50 ई.सी. या फ्लुबेंडामाईड 39.35 प्रतिशत एससी 150 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से पांच सौ लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर दर से छिड़काव करने की सलाह दी है।
हिन्दुस्थान समाचार / गेवेन्द्र