कलेक्टर ने की मूर्ति विसर्जन संबंधी नियमों का पालन करने की अपील
धमतरी, 13 सितंबर ( हि. स.)। वर्तमान समय में गणेशोत्सव तदुपरांत दुर्गोत्सव पर्व पर जलस्रोतों को प्रदूषण से बचाने के लिए मूर्ति विसर्जन केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा संशोधित गाइडलाइन जारी की गई है, जिसके परिपालन में छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल ने सोमवार को कलेक्टर एवं निगम निगम के आयुक्त को पत्र जारी कर तत्संबंध में दिशा-निर्देश का पालन करने के लिए कहा है। कलेक्टर पीएस एल्मा ने उक्त पत्र में वर्णित गाइडलाइन का पालन करने की अपील जिले की आयोजन समितियों से की है।
कलेक्टर ने शासन द्वारा जारी किए गए पत्र के हवाले से बताया है कि नदी और तालाब में विसर्जन के लिए विसर्जन कुंड, बंड, अस्थायी कुंड का निर्माण कर मूर्ति एवं पूजा सामग्री जैसे फूल, वस्त्र, कागज एवं प्लास्टिक से बनी सजावट की वस्तुओं आदि को मूर्ति विसर्जन के पूर्व अलग कर दिया जाए तथा इनका अपवहन उचित तरीके से किया जाए, जिससे नदी या तालाब में प्रदूषण की स्थिति नियंत्रित हो सके। साथ ही सभी प्रमुख शहरों में पृथक से आवश्यक सुविधा के साथ विसर्जन पाण्ड, पहुंच मार्ग सहित बनाने पूर्व में ही निर्देशित किया जा चुका है जिन्हें नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार पूरा किया जाना है।
पत्र में उल्लेखित दिशानिर्देश के संबंध में कलेक्टर ने बताया कि विसर्जन के बाद वेस्ट मटेरियल, पूजन सामग्री, फूल, कपड़े प्लास्टिक पेपर, आदि को सुरक्षित ढंग से एकत्र कर पुन: उपयोग एवं कंपोस्टिंग आदि में किया जा सकता है। वेस्ट मटेरियल को विसर्जन स्थल पर जलाना प्रतिबंधित होगा। मूर्ति विसर्जन स्थल पर पर्याप्त घेराबंदी व सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने, चिन्हांकित विसर्जन स्थल पर नीचे सिंथेटिक लाइनर की व्यस्था करने तथा विसर्जन उपरांत उक्त लाइनर को वहां से हटाने के भी निर्देश दिए गए हैं जिससे अवशेषों को बाहर निकाला जा सके। बांस, लकड़ियां आदि का पुनः उपयोग करने और मिट्टी को भू-भराव के लिए उपयोग में लाने का भी निर्देश दिया गया है।
पत्र में यह भी वर्णन किया गया है कि मूर्ति निर्माताओं को मूर्ति निर्माण के लिए लाइसेंस प्रदान करते समय मान्य एवं अमान्य तत्वों की सूची प्रदान की जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि मूर्तियां केवल प्राकृतिक, जैव अपघटनीय, ईको फ्रेंडली व कच्चे माल से ही बनाई जाएं।
हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा