धन उत्पादक किसानो के लिए वरदान बनी नोना स्वर्णा बीज
कोलकाता, 06 दिसंबर (हि.स.)। मूल रूप से चावल प्रधान राज्य पश्चिम बंगाल का एक बड़ा हिस्सा समुद्र तट के
धन उत्पादक किसानो के लिए वरदान बनी नोना स्वर्णा बीज


कोलकाता, 06 दिसंबर (हि.स.)। मूल रूप से चावल प्रधान राज्य पश्चिम बंगाल का एक बड़ा हिस्सा समुद्र तट के किनारे बसा है जहां खारे पानी वाली मिट्टी में धान की फसल टिक नहीं पाती थी। लेकिन अब पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा तैयार की गई नई बीज "नोना (नमक) स्वर्णा" इन किसानों के लिए वरदान साबित हुई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कृषि सलाहकार प्रदीप मजूमदार ने बताया कि बड़े पैमाने पर किसानों को ये बीज उपलब्ध कराए गए हैं जो खारे पानी में भी खराब नहीं होते और शानदार फसल उग रही है। सरकार ने पूर्व मेदिनीपुर, उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिले के चार लाख से अधिक किसानों को धान की यह नई प्रजाति दी है। ‘नोना स्वर्णा’ उक्त तीन जिलों में 50 हजार हेक्टेयर से ज्यादा भूमि पर उगाई जा रही है और इससे किसानों को अस्थायी रूप से फसलों को हुए नुकसान को कम करने में सहायता मिली है जो अम्फान और यास चक्रवात से बर्बाद हो गई थीं।

मजूमदार ने बताया कि राज्य सरकार ने जनवितरण प्रणाली के तहत मुफ्त में बांटने के लिए 1,950 रुपये प्रति क्विंटल की दर से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नोना स्वर्णा की फसलें खरीदीं। मजूमदार ने कहा कि खरीफ के इस मौसम में इस प्रजाति का 2.7 लाख टन उत्पादन होने की संभावना है। मुख्यमंत्री ने राज्य के कृषि विभाग को निर्देश दिया था कि चक्रवात के दौरान खारे पानी से नष्ट हुई फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए वैकल्पिक उपाय किये जाएं।

राज्य सरकार ने ‘कृषक बंधु’ योजना के तहत उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर के किसानों को 1,290 मीट्रिक टन ‘नोना स्वर्णा’ प्रजाति के धान का वितरण किया था। धान की इस नई प्रजाति के बारे में मजूमदार ने कहा कि विशेष प्रजाति के इस बीज को तटीय क्षेत्रों की कृषि भूमि में बोया गया जो अम्फान और यास चक्रवात के दौरान बाढ़ के खारे पानी में डूबी हुई थी। आपदा गुजर जाने के बाद हमने खारेपन को कम करने के लिए पानी निकाला और फिर बीज बोये गए।

उन्होंने कहा कि सभी खेतों से पानी नहीं निकाला जा सका इसलिए नोना स्वर्णा के बीज बोने के लिए ऊंचाई वाले स्थानों को चुना गया। हिन्दुस्थान समाचार/ ओम प्रकाश