नई दिल्ली, 06 दिसंबर (हि.स.)। लोकसभा में सोमवार को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 में ड्राफ्टिंग त्रुटियों को ठीक करने के लिए एक विधेयक पेश किया गया। कई विपक्षी सदस्यों ने तकनीकी आधार पर विधेयक को पेश करने का विरोध किया।
वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड़ी ने एनडीपीएस (संशोधन) विधेयक, 2021 लोकसभा में पेश किया और यह सितंबर में जारी किए गए एक अध्यादेश की जगह लेगा। अध्यादेश नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 में संशोधन करता है। यह अधिनियम मादक दवाओं और दिमाग को प्रभावित करने वाले पदार्थों से संबंधित कुछ कार्यों (जैसे निर्माण, परिवहन और खपत) को नियंत्रित करता है।
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, बीजू जनता दल और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के सांसदों ने सरकार से विधेयक में संशोधनों को वापस लेने और इसे फिर से तैयार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक एक नागरिक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। विधेयक पूर्व प्रभाव से 2014 के बाद किए गए कार्यों के लिए दंडित करता है, जो उस समय अपराध के दायरे में नहीं थे।
उल्लेखनीय है कि अधिनियम 2014 में संशोधित किया गया था और इसमें ‘अवैध गतिविधियों’ की परिभाषा के खंड संख्या को बदल गया था। हालांकि, इन अवैध गतिविधियों के वित्तपोषण के दंड पर बनी धारा में संशोधन नहीं किया गया था और परिभाषा में पहले की खंड संख्या का उल्लेख ही था। विधेयक में इस त्रुटि को दूर किया गया है।
रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के सांसद एन.के. प्रेमचंद्रन ने विधेयक को पेश करने का विरोध किया और कहा कि दंडात्मक प्रावधान को पूर्व-प्रभाव में लागू नहीं किया जा सकता है। साथ ही सांसद ने आरोप लगाया कि सरकार संख्या बल के आधार पर विधेयकों का पारित करा रही है और विपक्ष के सुझावों को अनदेखा कर रही है।
हिन्दुस्थान समाचार/अनूप