जयपुर, 25 नवंबर (हि.स.)। राज्य सूचना आयोग ने आम अवाम को सूचना मुहैया कराने में कोताही बरतने वाले अधिकारियों के प्रति अपना कड़ा रुख बरकरार रखा है। आयोग ने परिवहन, स्थानीय निकाय और ग्रामीण विकास महकमे के चार अधिकारियों पर अलग-अलग मामलों में 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। यह राशि उनके वेतन से वसूलने का निर्देश दिया गया है।
आयोग के सम्मुख उदयपुर के सुरेश कुमार ने अपील दाखिल कर शिकायत की कि परिवहन विभाग लम्बे अर्से से उनकी अर्जी की उपेक्षा कर रहा है और सुनवाई नहीं कर रहा है। सुरेश कुमार ने वाहनों पर सामान रखने वाले जंगले के बारे में दिशा निर्देशों की जानकारी मांगी थी। लेकिन विभाग दो साल से ख़ामोशी अख्तियार किये हुए है। आयोग ने उदयपुर के परिवहन अधिकारी से जवाब तलब किया। लेकिन अधिकारी ने कोई जवाब नहीं दिया। इस पर सूचना आयुक्त नारायण बारेठ ने अधिकारी पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश दिया है। आयोग ने जिला परिवहन अधिकारी को निर्देश दिया है कि वे नागरिक को संबंधित रिकॉर्ड का निरीक्षण कराएं और उनके द्वारा चिन्हित पचास पेज तक निशुल्क उपलब्ध करवाए।
आयोग ने नागौर जिले में लाडनूं नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी पर सूचना कानून के प्रति लापरवाही बरतने के लिए दो अलग-अलग मामलों में पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। आयोग के समक्ष प्रवीण कुमार ने पालिका प्रशासन पर सूचना कानून की अवहेलना का आरोप लगाया और कहा कि उन्हें सूचना मुहैया नहीं करवाई जा रही है। अधिकारी ने न तो इसका जवाब दिया और न ही हाजिर हुए। इस पर सूचना आयुक्त बारेठ ने नाराजगी जाहिर की और पांच हजार रुपये जुर्माने लगाने का निर्देश दिया। ऐसे ही एक और मामले में लाडनूं के अदरीश खान ने आयोग में अपील दाखिल कर कहा कि नगर पालिका प्रशासन सूचना अधिकार के उनके आवेदन पर कोई कार्यवाही नहीं की। आयोग ने इसे गंभीर माना और अधिकारी पर पांच हजार रूपये का जुर्माना लगाने का आदेश दिया है। अदरीश खान लाडनूं में सड़क निर्माण से जुडी सूचना मांग रहे थे। आयोग ने पालिका से कहा है कि वो आवेदक नागरिक को संबंधित रिकॉर्ड का अवलोकन कराये और जानकारी उपलब्ध कराये। आयोग ने अपने आदेश की प्रति स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक को भेजने का निर्देश दिया है।
राज्य सूचना आयोग ने चितौड़गढ़ जिले में निम्बाहेड़ा के विकास अधिकारी पर भी पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। सूचना आयुक्त बारेठ ने जुर्माने का आदेश तब दिया जब एक स्थानीय व्यक्ति ने शिकायत की कि विकास अधिकारी ने ग्राम पंचायतों में निर्माण कार्यों के बारे में दाखिल उनके आवेदन को अनदेखा कर दिया और सूचना उपलब्ध कराने से महरूम कर दिया। आयोग ने अधिकारी को अपना पक्ष रखने के लिए मौका भी दिया। मगर अधिकारी ने इस अवसर को खो दिया। इस पर सूचना आयुक्त ने जुर्माना लगाते हुए अपने आदेश की प्रति जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को भेजने का निर्देश दिया है। इन अधिकारियों से जुर्माने की यह राशि उनकी तनख्वाह से काटी जाएगी।
हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ ईश्वर