नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को महात्मा गांधी राष्ट्रीय फैलोशिप के दूसरे चरण का शुभारम्भ किया।
दो वर्षीय फैलोशिप में शैक्षणिक भागीदार आईआईएम द्वारा कक्षा सत्रों को जिला स्तर पर व्यापक फील्ड इमर्सन के साथ संयोजित करने का प्रयास किया गया है, जिससे रोजगार, आर्थिक उत्पादन बढ़ाने और आजीविका को प्रोत्साहन देने के लिए विश्वसनीय योजनाएं बनाने और इनसे जुड़ी बाधाओं की पहचान की जा सके।
इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधान ने फैलोशिप प्राप्त करने वालों से कौशल विकास के प्रयासों के द्वारा जमीनी स्तर पर सामाजिक बदलाव के प्रेरक के रूप में काम करने का आह्वान किया। उन्होंने जिलाधिकारियों और शैक्षणिक भागीदार आईआईएम से इस फैलोशिप के माध्यम से लाभार्थियों को सहूलियत देने और बदलाव की एक सफल कहानी लिखने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हम आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ रहे हैं। विविध क्षेत्रों में व्यापक बदलाव से ज्यादा कुशल पेशेवरों के लिए मांग बढ़ेगी और इस प्रकार जिला स्तर पर कौशल की पहचान और कौशल विकास प्रयासों को निर्देशित करने की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर बोलते हुए प्रधान ने शिक्षा और कौशल के बीच मजबूत तालमेल बैठाने के विजन और एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट सहित इस दिशा में की गईं कोशिशों रेखांकित किया। उन्होंने सभी आईआईएम से फैलोशिप प्राप्तकर्ताओं को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में जागरूक बनाने का अनुरोध किया।
इस अवसर पर एमएसडीई सचिव राजेश अग्रवाल, एमएसडीई संयुक्त सचिव अनुराधा विमूरी, कर्नाटक कौशल विकास निगम (केएसडीसी) के मिशन निदेशक अश्विन गौड़ा, मेघालय में ईस्ट गारो हिल्स के जिलाधिकारी स्वप्निल टेम्बे, कर्नाटक में विजयापुरा के जिलाधिकारी पी. सुनील कुमार और आईआईएम बंगलुरू में प्रो. अर्नब मुखर्जी उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/ सुशील/जितेंद्र तिवारी