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पन्ना, 13 अक्टूबर (हि.स.)। जिले के बहुचर्चित पुन्नू चौधरी हत्याकाण्ड में विशेष न्यायालय पन्ना ने मंगलवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। पुन्नू चौधरी व छक्कू चौधरी निवासी ग्राम टिकरिया का अपहरण करने और पुन्नू को पेट्रोल डालकर जिंदा जलाने के मामले में विशेष न्यायाधीश अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम पन्ना, आर.पी. सोनकर ने अभियुक्तगण रमेश सिंह राठौर, सीताराम राठौर, मूरत सिंह गौंड़ निवासी ग्राम सिजहटी, अरुण कुमार मुसरहा, दुधपाल सिंह यादव निवासी ग्राम टिकरिया व दशरथ सिंह गौंड़ निवासी ग्राम कंधेली थाना शाहनगर जिला पन्ना को दोष सिद्ध पाते हुए प्रत्येक अभियुक्त को आजीवन कारावास एवं अर्थदंड से दण्डित किया गया है।
अभियुक्तगण ने बड़ी ही बेरहमी से पुन्नू चौधरी की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी थी, क्योंकि उसके चाचा छक्कू चौधरी ने दुधपाल यादव से ऊंची आवाज़ में बात की थी। छक्कू का यह रवैया दुधपाल सिंह को नागवार गुजरा था। दुधपाल ने इसे अपना अपमान समझा और बदला लेने के लिए अन्य लोगों के साथ मिलकर अपहरण व हत्या की जघन्य वारदात को अंजाम दिया था।
विशेष लोक अभियोजक ने अभियोजन के मामले की जानकारी देते हुए बताया, बड़ी बाई चौधरी पत्नी बिसलिया चौधरी निवासी ग्राम टिकरिया ने दिनांक 12 फरवरी 2014 को थाना शाहनगर में लिखित आवेदन पत्र दिया था। जिसमें यह उल्लेख किया था कि, शाम करीब 6 बजे स्थानीय बस स्टैण्ड में लड़के पुन्नू व देवर छक्कू के साथ दुधपाल यादव, सीताराम राठौर, दशरथ गौंड़ व 7-8 अन्य लोग मारपीट कर दोनों को जबरदस्ती घसीटकर सिजहटी की ओर ले गए हैं। आवेदन पत्र की जांच उपरांत शाहनगर थाना में धारा 365 आईपीसी के तहत कायम किया गया। अपहरण के मामले की जांच के दौरान दिनांक 13 फरवरी 2014 छक्कू चौधरी ने थाना पहुंचकर रिपोर्ट लिखाई कि घटना दिनांक को टिकरिया बस स्टैण्ड में उसके और भतीजे पुन्नू के साथ दुधपाल, सीताराम, शंकर राठौर व 2-3 अन्य लोगों ने मारपीट की। फिर दोनों के हाथ-पैर बांधकर दो जीपों से अकला गौंड़ के खेत में ले गए। जहां दुधपाल ने पुन्नू के ऊपर तेल डाला और सीतराम ने माचिस से आग लगा दी, जिससे पुन्नू वहीं जलकर मर गया। आरोपी उसे भी जलाने वाले थे लेकिन छक्कू चौधरी के विनती करने पर आरोपियों ने उसे छोड़ दिया। छक्कू ने पुलिस को बताया, पुन्नू की जली हुई लाश अकला गौंड़ के खेत में पड़ी है। शाहनगर थाना पुलिस द्वारा घटना पर मर्ग कायम कर शव की शिनाख्ती उपरान्त पोस्टमार्टम कराया गया। आरोपियों को गिरफ्तार कर प्रकरण का चालान (अभियोग पत्र) न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। मामले का विचारण विशेष न्यायाधीश अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम पन्ना के न्यायालय में किया गया। अभियोजन द्वारा प्रकरण में प्रस्तुत दस्तावेज एवं अभियोजन साक्षियों के कथनों से आरोपियों के विरूद्ध आरोपित अपराध संदेह से परे प्रमाणित किया गया। जिस पर न्यायालय द्वारा अभियोजन के तर्कों तथा न्यायिक-दृष्टांतों से सहमत होते हुए उपरोक्त अभियुक्तों को आजीवन कारावास एवं अर्थ दंड से दंडित किये जाने का आदेश पारित किया।
हिन्दुस्थान समाचार/सुरेश पाण्डेय