Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
श्रीरामीलीला समिति, ऐशबाग में मंचित हुई बालि वध की लीला
लखनऊ,13 अक्टूबर (हि.स.)। ‘अनुज वधु भगिनी सुतनारी, सुन सठ ये कन्या समचारी' जब वानर राज बालि ने भगवान श्रीराम से मारे जाने का कारण पूछा तो भगवन ने बताया कि छोटी भाई की पत्नी, बहन, पुत्र वधु ये सब कन्या के बराबर ही होती है। और बालि तुमने अपने छोटे भाई की पत्नी को अपने साथ रखा हुआ है। 'ताहि वधे कछु पाप न होई' उनके वध से कुछ भी पाप नहीं होता है। बालि वध की यह लीला श्रीरामलीला समिति, ऐशबाग की ओर से सातवें दिन बुधवार को दर्शायी गई। यहां लीला का आयोजन ऑन लाइन हो रहा है। लीला में इसके पूर्व राम-शबरी मिलन, राम-सुग्रीव मित्रता, सुग्रीव-बालि युद्ध, बालि वध और तारा विलाप लीला भी मंचित हुई।
रामलीला की शुरूआत राम शबरी मिलन लीला से हुई। इस प्रसंग में जब प्रभु राम और लक्ष्मण अपनी भार्या सीता को खोजते हुए शबरी की कुटिया में पहुंचते हैं। शबरी अपने प्रभु को पहचान लेती है और बड़े चांव बेर खिलाती है। शबरी ही श्रीराम को सुग्रीव का पता बताती है। वे दोनों भाई सुग्रीव से भेंट करने के लिए निकलते हैं। वहां उनका मिलन हनुमान जी से होता है। हनुमान जी उन दोनों को सुग्रीव से मिलाते हैं।
राम से मिलने के उपरान्त सुग्रीव बताते हैं कि उनके बड़े भाई बालि ने उनका राज्य और उनकी पत्नी को छीन लिया है। इस पर राम उनको उनका राज्य और उनकी पत्नी को वापस दिलाने का वचन देते हैं। इसके उपरान्त बालि और सुग्रीव के मध्य युद्ध होता है और राम बालि को अपने बाण से मार देते हैं। सुग्रीव को उनका राज्य और पत्नी वापस मिल जाती है। बालि के मर जाने पर तारा विलाप करने लगती है। इसी के साथ आज की लीला विश्राम लेती है।
इस अवसर पर श्री राम लीला समिति, ऐशबाग के अध्यक्ष हरीशचन्द्र अग्रवाल, सचिव पं. आदित्य द्विवेदी, प्रमोद अग्रवाल उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार/शैलेन्द्र मिश्र