राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उद्यमिता और कौशल विकास को प्रमुखता: प्रो. व्यास
जोधपुर, 07 अगस्त (हि.स.)। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राजस्थान (उच्च शिक्षा) के तत्वावधान में श्री पारसमल बोहरा नेत्रहीन महाविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर व्याख्यान का आयोजन हुआ। नीति से परिवर्तन तक: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के
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जोधपुर, 07 अगस्त (हि.स.)। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राजस्थान (उच्च शिक्षा) के तत्वावधान में श्री पारसमल बोहरा नेत्रहीन महाविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर व्याख्यान का आयोजन हुआ। नीति से परिवर्तन तक: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पांच वर्ष की थीम पर आधारित इस व्याख्यानमाला में आमन्त्रित शिक्षा नीति विशेषज्ञ और राजकीय कन्या महाविद्यालय सूरसागर के प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. अरुण व्यास ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुख्य उद्देश्यों, संस्कार युक्त शिक्षा तथा विद्यार्थियों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व निर्माण के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया।

प्रोफेसर व्यास ने बताया कि वर्ष 1835 की मैकाले शिक्षा पद्धति, जिसे मैकालेवाद भी कहा जाता है, 19वीं सदी में ब्रिटिश हुकूमत द्वारा भारत में लागू की गई थी जिसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश प्रशासन के लिए एक ऐसे वर्ग का निर्माण करना था जो अंग्रेजी में शिक्षित हो और ब्रिटिश हितों को आगे बढ़ाने में मदद करे। यह मॉडल बरसों तक हमारी शिक्षा प्रणाली में प्रभावी रहा और इससे पूर्व की दो राष्ट्रीय शिक्षा नीतियों जो वर्ष 1968 एवं 1986 में आई वे भी इससे प्रभावित रहीं।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विद्यार्थी के सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास और चरित्र निर्माण करने पर फोकस किया गया है और इसके माध्यम से उद्यमिता और कौशल विकास को प्रमुखता प्रदान करते हुए क्यूरीकुलम तैयार किये गये है जिनमें उद्यमिता को भी महत्वता प्रदान की गई।

महाविद्यालय प्राचार्या डॉ. मीता मुल्तानी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के महाविद्यालय में इम्पलीटेशन पर विचार रखें। कार्यक्रम का संचालन डॉ. विनोद गहलोत ने किया तथा इस व्याख्यान में डॉ. दिलीप कुमार नाथाणी, डॉ. जगदीश नारायण ओझा, डॉ. अनीता जोशी, डॉ. दिव्या सिंह राजपुरोहित, डॉ. अरूणा श्रीमाली और ब्रेल शिक्षक विजय, रामकिशोर सैनी, तुलसी जोशी, सागर सिंह और कृष्णा कंवर सहित छात्र छात्राएं मौजूद थीं।

हिन्दुस्थान समाचार / सतीश