हाईकोर्ट ने दो बुजुर्ग बहनों की हत्या के मामले में गिरफ्तार महिला को मानवीय आधाार पर दी जमानत
जोधपुर, 07 अगस्त (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने उदयपुर में करीब दो साल पहले हुई दो बुजुर्ग बहनों की हत्या के मामले में गिरफ्तार एक महिला को जमानत दी है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि महिला एक युवा मां है, जिस पर अपने पांच साल के बच्चे की देखभाल की जि
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जोधपुर, 07 अगस्त (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने उदयपुर में करीब दो साल पहले हुई दो बुजुर्ग बहनों की हत्या के मामले में गिरफ्तार एक महिला को जमानत दी है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि महिला एक युवा मां है, जिस पर अपने पांच साल के बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी है। अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता (मारिया) की युवावस्था, सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव की कमी और मुकदमे में बाधा डालने के किसी भी इरादे या कार्रवाई के अभाव को देखते हुए, उसे केवल आरोपों की गंभीरता के आधार पर जेल में रखना अनुचित होगा। राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस फरजंद अली ने अपने जजमेंट में सीआरपीसी की धारा 439 के तहत दायर इस याचिका पर यह आदेश दिया।

दरअसल, मारिया पिछले दो साल से जेल में बंद थी। घटना उदयपुर के अंबामाता थाना क्षेत्र के नवरत्न कॉम्प्लेक्स स्थित डायमंड कॉलोनी की है। गत 27 अक्टूबर 2023 को उदयपुर के नवरत्न कॉम्प्लेक्स डायमंड कॉलोनी निवासी हुसैना बाई और उनकी बहन सारा बाई की घर में हत्या कर दी गई थी। जांच के दौरान मारिया को दो नवंबर, 2023 को गिरफ्तार किया गया था। मारिया दोनों मृत महिलाओं की तीसरी और सबसे छोटी बहन जुबेदा की बहू है। जिसने सोने की जेवरात लूटने के लिए घटना को अंजाम दिया था। जांच पूरी कर पुलिस ने मारिया के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी। बाद में आरोपी पर आरोप तय किए गए थे। आरोपी ने खुद को निर्दोष बताया और मुकदमे का सामना करने का अनुरोध किया था। मारिया की ओर से पूर्व में दायर जमानत याचिका को कोर्ट ने गत 19 दिसंबर को खारिज कर दिया था।

दो जमानत राशियों पर किया रिहा

कोर्ट ने विभिन्न पहलुओं पर विचार करते हुए मारिया को 50 हजार रुपए के व्यक्तिगत मुचलके और 25 हजार की दो जमानत राशियों पर रिहा करने का आदेश दिया, ताकि वह सुनवाई की सभी तारीखों पर अदालत में उपस्थित रहे। कोर्ट ने कहा कि महिला के ससुराल पक्ष (सास-ससुर) का निधन हो चुका है, जिससे बच्चे की देखभाल के लिए कोई पारिवारिक सहयोग नहीं है। वर्तमान में बच्चा अपनी नानी के पास रह रहा है। जो खुद कैंसर पीडि़त पति की देखभाल कर रही है। इस कारण वह भी बच्चे की सही देखभाल करने में असमर्थ है। इस मामले में प्रत्यक्षदर्शी गवाहों का अभाव है। अभियोजन पक्ष का मामला मुख्य रूप से परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है। अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत सबूत अधूरे और असंबद्ध हैं। जो आरोपी के अपराध के अलावा अन्य संभावित परिकल्पनाओं को भी खुला छोड़ती है।

धीमी गति से चल रही ट्रायल

कोर्ट ने यह भी कहा ट्रायल बहुत धीमी गति से चल रही है। इसके जल्द पूरा होने की कोई संभावना नहीं है। ऐसे में, बिना दोष सिद्ध हुए लंबे समय तक हिरासत में रहना संवैधानिक रूप से व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 437 के तहत महिलाओं, बच्चों और बीमार व्यक्तियों जैसे कमजोर वर्गों के लिए जमानत देने का प्रावधान है।

हिन्दुस्थान समाचार / सतीश