आयुर्वेद का सटीक ज्ञान, प्रयोग एवं व्यवहार संस्कृत के ज्ञान के बिना सम्भव नहीं : डाॅ महेश व्यास
--दुनिया की ज्ञात भाषाओं में संस्कृत सर्वाधिक वैज्ञानिक: प्रो. राजवंत राव
संस्कृत को चिकित्सा शास्त्र एवं विज्ञान की भाषा बनाने की महती  आवश्यकता*


गोरखपुर, 07 अगस्त (हि.स.)। संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग द्वारा संचालित संस्कृत सप्ताहोत्सव का आज समापन हुआ। इस उत्सव का आयोजन 01 अगस्त से प्रारम्भ हुआ, जिसके तत्वावधान में एक व्याख्यान माला विषय संस्कृत के विविध आयाम रहा। विषय को ध्यान में रखते हुए वेद, साहित्य, व्याकरण, कम्प्यूटर, ज्योतिष, वेदान्त, दर्शन एवं आयुर्वेद के अधिकारी विद्वानों द्वारा महत्वपूर्ण व्याख्यान दिए गए ।

मुख्य वक्ता के रूप में आभासी पटल से जुडे डॉ महेश व्यास, संकाय प्रमुख, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान नई दिल्ली से जुड़े रहे। उन्हाेंने महत्वपूर्ण व्याख्यान में कहा कि यदि आज आयुर्वेद विश्व की आवश्यकता है तो संस्कृत आयुर्वेद की आवश्यकता है। आयुर्वेद का सटीक ज्ञान, प्रयोग एवं व्यवहार संस्कृत के ज्ञान के बिना सम्भव नहीं है।

प्रो राजवन्त राव ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि आज विश्व की समस्त प्रचलित भाषाओं में संस्कृत सर्वोत्कृष्ट एवं वैज्ञानिक भाषा है। इसका व्याकरण समस्त भाषाओं के व्याकरण का उपजीव्य है। संस्कृत का शब्द कोष ही सभी भाषाओं में सबसे बड़ा है। इस भाषा में 102 अरब शब्दों की गणना की गई है। आज संस्कृत को चिकित्सा शास्त्र एवं विज्ञान की भाषा बनने की आवश्यकता है।

विशिष्ट वक्ता रीतिका शर्मा भी अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान नई दिल्ली से जुड़ी। उन्होंने संस्कृत को आयुर्वेद का प्राण कहते हुए आयुर्वेद के अनुसार आहार-विहार को संस्कृत वाङ्मय में पहले से ही बताया गया है। वहीं से आयुर्वेद की उत्पत्ति हुई है। आयुर्वेद से शरीर के संतुलन करने के उपाय वेदों के एवं आयुर्वेद ग्रन्थों के उदाहरणों द्वारा बताया। संचालन शोधछात्र आनन्द कुमार पासवान ने, स्वागत समन्वयक डॉ देवेन्द्र पाल ने तथा धन्यवाद आयोजन की संयोजक डॉ रंजनलता ने किया। इस अवसर पर विभागीय शिक्षको सहित लगभग 100 छात्र-छात्राओं ने आनलाइन एवं आफलाइन सहभागिता की ।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय